टीएसी के सदस्य डॉ. सी. एन. मंजूनाथ ने कहा, ‘समिति ने सिफारिश की है कि 16-17 आयु वर्ग के बच्चों से टीकाकरण अभियान शुरू हो। फिर अन्य कम उम्र के बच्चों को कवर किया जाए। साथ ही अन्य बीमारियों से पीडि़त बच्चों को प्राथमिकता के आधार पर टीका लगाया जाए। विशेष अभियान चला ऐसे बच्चों की पहचान की जाए।’
टीएसी विशेषज्ञों का मत है कि चूंकि शुरूआत में उपलब्ध खुराकों की संख्या सीमित होगी, इसलिए वयस्कों का टीकाकरण करते समय अपनाए गए पैटर्न का पालन करना बेहतर है। बाल रोग विशेषज्ञों, हेड नर्सों, आशा कार्यकर्ताओं आदि को योजना चरणों में शामिल किया जाना चाहिए। खसरा-रूबेला अभियान से प्राप्त अनुभव काम आएंगे।