हाथियों की सुरक्षा में लगे सीसीटीवी कैमरे

दशहरा महोत्सव के लिए पहले जत्थे में पहुंचे छह हाथियों की चाक चौबंद सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए हाथियों पर सीसीटीवी कैमरे से नजर रखी जा रही है।

<p>हाथियों की सुरक्षा में लगे सीसीटीवी कैमरे</p>

मैसूरु. दशहरा महोत्सव के लिए पहले जत्थे में पहुंचे छह हाथियों की चाक चौबंद सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए हाथियों पर सीसीटीवी कैमरे से नजर रखी जा रही है। अर्जुन सहित अन्य हाथियों को किसी प्रकार से कोई पेरशान न करे और उनके आहार सहित अन्य प्रकार की व्यवस्थाओं में कोई कमी न हो इसके लिए महल परिसर में ‘गजशाला’ में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं।


विजयदशमी के दिन स्वर्ण हौदा लेकर चलने वाले अर्जुन हाथी की निगरानी में सर्वाधिक दो कैमरे लगाए गए हैं जबकि शेष पांच हाथियों के शेड में दो कैमरे लगाए गए हैं। अर्जुन पर सर्वाधिक ध्यान दिया जा रहा है, क्योंकि वह महोत्सव का मुख्य आकर्षण है और सभी उसके पास जाना चाहते हैं।

अर्जुन को किसी प्रकार से परेशानी न हो, इसलिए उसकी निगरानी में दो कैमरे लगाए गए हैं। इसी प्रकार जिस जगह पर हाथियों के लिए विशेष आहार बनाया जाता है वहां एक कैमरा लगाया गया है और एक कैमरा सूखा चारा भंडार गृह में लगाया गया है जबकि महावतों के शेड में भी एक कैमरा लगाया गया है। सीसीटीवी कैमरा निगरानी कक्ष की स्थापना श्रीकोडी सोमेश्वर मंदिर के पास की गई है, जहां वन विभाग के गार्ड कैमरों की निगरानी कर रहे हैं।


पशु प्रेमियों ने किया स्वागत
वन विभाग की इस पहल का पशुप्रेमियों ने स्वागत किया। पशु प्रेमियों का कहना है कि इससे न सिर्फ हाथियों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी, बल्कि यह भी पता चलेगा कि उनके आहार और चारा की व्यवस्था में कोताही तो नहीं हो रही है। पौष्टिक आहार बनाने की प्रक्रिया पर भी बारीकी से नजर रखी जा सकेगी जिससे हाथियों के स्वास्थ्य को लेकर उठनी वाली चिंताएं दूर हो सकती हैं।

सुखी जीवन जीने के बताए गुर
चामराजनगर. राजस्थान जैन संघ के तत्वावधान में पर्युषण साधना में स्वाध्यायी सिद्धि बोहरा ने कहा कि हम दूसरों के नजरिए को समझकर निर्णायक न होते हुए जब परिवार और समाज को साथ लेकर चलते हैं तब हम सभी की भावनाओं को आदर देकर उन्हें खुश रखकर खुद भी खुश हो सकते हैं।


स्वाध्यायी अंजना बोहरा ने सुखी जीवन जीने के टिप्स और मनुष्यत्व को पालन करने के तरीके बताए। उन्होंने कहा कि एकरूपता, दया भाव रखना, नकारात्मक विचार और इमोशंस से बचना, जिससे जीवन में बहुत सुख और शांति की प्राप्ति होती है। स्वाध्यायी रूपा विनायकिया नेरात्रि भोज का त्याग और उसके सदुपयोग के बारे में जानकारी दी। स्वाध्यायी वीणा पुनमिया ने अंतगड़ सूत्र का वाचन किया। स्वाध्यायी लक्ष्मी वेदमुथा ने गीतिका प्रस्तुत की।

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