वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि यह केंद्र के विजन के अनुरूप है जो संचार व्यवस्था में क्रांतिकारी परिवर्तन लाने वाला साबित होगा। इस प्रणाली के जरिए होने वाला संचार अभेद्य होगा और घुसपैठ की कोई भी कोशिश नाकाम साबित होगी। आरआरआइ की वैज्ञानिक प्रोफेसर उर्वशी सिन्हा के नेतृत्व में और इसरो के सहयोग से यह प्रयोग वर्ष 2017 से हो रहा था। यह देश की पहली क्वांटम परियोजना थी जिसमें सफलता का दावा किया गया है। क्वांटम की (कुंजी) डिस्ट्रीब्यूशन (क्यूकेडी) प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कर पहली बार वैज्ञानिकों ने आरआरआइ के दो भवनों के बीच सफलतापूर्वक संचार किया। यह एन्क्रिप्शन की साझा करने का सबसे सशक्त तरीका है। उर्वशी सिन्हा के नेतृत्व में टीम ने यहां रविवार को इस तकनीक का प्रदर्शन भी किया।
सिन्हा ने कहा कि वायुमंडलीय चैनल का उपयोग कर पहली बार इस तरह संचार स्थापित करने में सफलता हासिल की गई है। यह सफलता वायुमंडलीय चैनल द्वारा लंबी दूरी के संचार का मार्ग प्रशस्त करेगी। अंतत: अंतरिक्ष में स्थापित उपग्रहों से धरती के बीच क्वांटम संचार सुनिश्चित होगा जो अल्ट्रा-हाई सिक्यूरिटी पर आधारित है। इसका डुप्लीकेट अथवा इसमें दी गई सूचनाओं को पृथक नहीं किया जा सकता।
सिन्हा ने कहा कि वायुमंडलीय चैनल का उपयोग कर पहली बार इस तरह संचार स्थापित करने में सफलता हासिल की गई है। यह सफलता वायुमंडलीय चैनल द्वारा लंबी दूरी के संचार का मार्ग प्रशस्त करेगी। अंतत: अंतरिक्ष में स्थापित उपग्रहों से धरती के बीच क्वांटम संचार सुनिश्चित होगा जो अल्ट्रा-हाई सिक्यूरिटी पर आधारित है। इसका डुप्लीकेट अथवा इसमें दी गई सूचनाओं को पृथक नहीं किया जा सकता।
क्वांटम आधारित संचार, इनक्रिप्शन कुंजियों को सुरक्षित रूप से साझा करने में पूर्णत: सक्षम है। इसमें दी गई सूचनाओं को पृथक नहीं किया जा सकता और यदि कोई सूचना को डिकोड करने की कोशिश करता है तो यह इनक्रिप्शन को तुरंत बदल देता है। जिससे सूचना प्राप्तकर्ता को प्रणाली से की गई छेड़छाड़ का पता लग जाएगा। गौरतलब है कि चीन ने इस तकनीक का सबसे पहले प्रदर्शन किया है। सुरक्षित संचार के लिए चीन क्वांटम तकनीक पर आधारित उपग्रहों की लांचिंग की योजना भी बना रहा है।