पायलीखण्ड गांव के धरती के नीचे अपार खनिज संपदा हीरा अलेक्जेंडर बहुमुल्य रत्न भरा पड़ा हुआ है, लेकिन बारिश के पूरे चार माह यहां के निवासियों को नदी पार कर राशन सामाग्री चांवल, दाल नमक, मिट्टी तेल लेने जाना पड़ता है। सरपंच चमारसिंह, रामधर नेताम, देवीसिंग, भुजबल नागेश, विशाल सोरी, जयराम नागेश आदि ग्रामीणों ने बताया कि पायलीखण्ड की बड़ी नदी में बारिश के चार माह कमर तक पानी चलता रहता है।
इसके चलते यह क्षेत्र अन्य क्षेत्रों से कट जाता है। लोगों को जीने के लिए भी संघर्ष करना पड़ता है। ग्रामीणों को राशन सामाग्री के लिए बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ता है, कभी-कभी गंभीर दुर्घटना का भी अंदेशा बना रहता है। कई बार पुल निर्माण की मांग कर चुके है, यहां विशेष पिछड़ी जनजाति भुंजिया आदिवासी निवास करते है, लेकिन शासन की कोई भी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है।
स्वास्थ्य सुविधा का हाल बेहाल है। गांव में दर्जन भर लोग सर्दी, खांसी, बुखार से पीडि़त है लेकिन उन्हें दवा उपलब्ध कराने वाला कोई नहीं है। स्वास्थ्य संयोजकों के हड़ताल में चले जाने से स्थिति खराब होती जा रही है। एक पंखवाड़े पूर्व ग्राम पायलीखण्ड में कक्षा सातवीं में पढऩे वाली छात्रा की मौत मलेरिया से हो गई थी। उन्हें समय पर नदी में बाढ़ के कारण अस्पताल नहीं पहुंचाया जा सका था। टाइगर रिजर्व क्षेत्र होने के कारण पक्की सडक़ का निर्माण भी नहीं हुआ है। स्कूलों में शिक्षक व भवन की कमी वर्षों से बनी हुई है।
गांव के हैण्डपंपों में आयरन युक्त पानी आने के कारण इसका उपयोग ग्रामीण नहीं कर पा रहे है। मंगलवार को आदिवावी प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री जनक राम ध्रुव ग्रामीणों ने मिलने पहुंचे तो अपनी समस्याएं बताते हुए ग्रामीणों के आंसू छलक उठे। ग्रामीणों के सभी समस्याओं को गंभीरता से सुनकर ध्रुव ने उक्त समस्याओं के समाधान के लिए जरूरत पडऩे पर आंदोलन करने तक की बात कही।