60 की उम्र में दादी मां जब कंप्यूटर सीखने जाती थी तो गांव के लोग हंसते थे, इस उम्र में क्या पढ़ाई-लिखाई पर आज….

बालोद जिले की तीन बुजुर्ग महिलाओं में पढऩे और तकनीक सीखने की इस कदर इच्छा शक्ति थी कि उन्होंने उम्र के बंधन को तोड़कर 60 की उम्र में कम्प्यूटर की शिक्षा हासिल करने का निर्णय लिया। (International Women’s Day 2020)
 

<p>60 की उम्र में दादी मां जब कंप्यूटर सीखने जाती थी तो गांव के लोग हंसते थे, इस उम्र में क्या पढ़ाई-लिखाई पर आज&#8230;.</p>
बालोद. कुछ सीखने के लिए उम्र बाधा नहीं होती। जज्बा हो तो कभी भी सफलता हासिल की जा सकती है। खुद के आत्मविश्वास पर कायम रहें तो मंजिल की चुनौती भी आसान हो जाती है। ऐसी ही कुछ कहानी है बालोद जिले की बुजुर्ग महिलाओं सुशीला यादव, गौरी यादव , बारिश बाई यादव की। तीनों महिलाओं में पढऩे और तकनीक सीखने की इस कदर इच्छा शक्ति थी कि उन्होंने उम्र के बंधन को तोड़कर 60 की उम्र में कम्प्यूटर की शिक्षा हासिल करने का निर्णय लिया। तीनों महिलाएं निरक्षर थीं। अक्षरों का ज्ञान न होने की मिथ्या को तोड़ कर महिलाओं ने डिजिटल शिक्षा से अपने ज्ञान को विस्तार दिया। खुद तो डिजिटल साक्षर हुईं है, साथ ही अन्य महिलाओं को भी जोड़कर डिजिटल साक्षर कर रही है। कभी चूल्हा चौका और बुढ़ापे में राम नाम जपने वाली ये बुजुर्ग महिलाएं अब कंप्यूटर स्क्रीन से नजरे मिलाकर, फर्राटे से की-बोर्ड और माउस पर उंगलियां दौड़ाती हैं।
बालोद जिला मुख्यालय में संचालित ई साक्षरता ट्रेनिग सेंटर में बीते एक साल में 251 महिलाओं को कम्यूटर चलाने की ट्रेनिंग दी जा चुकी है। अब ये महिलाए खुद ही कम्प्यूटर चलाने लगी हैं साथ ही ऑनलाइन पैसा भी ट्रांसफर करना सीख गई हैं।
अब हाथों में नहीं झाड़ू-पोछा, चलाती हंै कंप्यूटर
कंप्यूटर सीखने से पहले ये बुजुर्ग ग्रामीण महिलाएं झाड़ू-पोछा, बर्तन, रसोई तक ही सीमित रहती थीं। एक बुजुर्ग महिला ने बताया कि जब वो कंप्यूटर सीखने जाती थी तो गांव के लोग हंसते थे। इस उम्र में क्या पढ़ाई-लिखाई पर आज मुझ पर गर्व करते हैं। ई शिक्षा का महत्व समझकर अब ये महिलाएं जागरूक हो रही हंै और उम्र के अंतिम पड़ाव में भी कम्प्यूटर सीख रही हंै। ई साक्षरता ट्रेनिंग सेंटर की ई एजुकेटर पूर्णिमा विश्वकर्मा ने बताया कि साल 2019 से यह प्रशिक्षण केंद्र खुला है। यहां पर 14 से 60 वर्ष की अब तक कुल 251 महिलाओं को कम्प्यूटर चलाने का प्रशिक्षण दिया जा चुका है। महिलाएं कम्प्यूटर से ही ऑनलाइन पैसा ट्रांसफर करना, साथ ही कम्प्यूटर चलाना, फोटो बनाना सीख गए हैं।
महिलाओं ने बताया कि ऑनलाइन चीजों और महिलाओं को डिजिटल शिक्षा देने के लिए डिजिटल साक्षर अभियान से जुड़ीं। अब कंप्यूटर में एमएस ऑफिस, पावर पाइंट, एक्सल, पेंट ब्रस और अन्य चीजों को आसानी से चला लेती हैं। साथ ही हिंदी में टाइप कर गूगल में कई चीजों की जानकारी ले लेती हैं। वहीं ई पेमेंट करना भी सीख लिया है।
कभी सोची नहीं थी कम्प्यूटर चलाऊंगी, माउस पकडऩे से हाथ कांपते थे
60 वर्षीय सुशीला बाई ने बताया कि वह कभी सोची नहीं थी कभी कम्प्यूटर भी चलाएगी। जब पहली बार कम्प्यूटर सीट पर बैठे तो डर लगा कैसे कम्प्यूटर चलाए पर जब ट्रेनर ने कम्प्यूटर चलाना सिखाया तो डर खत्म हो गया और अब तो स्वयं से कम्प्यूटर चलाते हैं। कम्प्यूटर की कई जानकारी के साथ उसमे कार्य करते हैं।
जब पहली बार हाथ में माउस पकड़ाया तो हाथ कांपते थे पर अब तो कम्प्यूटर के साथ माउस पर भी उंगलियां दौड़ाते हैं।
मिलती है 600 रुपए स्कॉलरशिप
ई-साक्षरता ट्रेनिंग सेंटर में 14 से 60 वर्ष के बीच के कोई भी महिलाएं ट्रेनिंग ले सकती है। ट्रेनिंग पूरा होने के बाद व कम्प्यूटर परीक्षा में पास होने के बाद महिलाओं को प्रोत्साहन के तौर पर 600 रुपए छात्रवृति भी दी जाती है।
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