बालाघाट

शिक्षा के लिए जान का जोखिम, नाव से नदी पार कर रहे विद्यार्थी

फेरा, समय की बचत के लिए ग्रामीण भी करते हैं आवागमन, ग्रामीणों की मांग पर अभी तक नहीं बन पाया घिसर्री नदी पर पुल

बालाघाटJul 30, 2021 / 09:24 pm

Bhaneshwar sakure

शिक्षा के लिए जान का जोखिम, नाव से नदी पार कर रहे विद्यार्थी

बालाघाट. शिक्षा के लिए जान का जोखिम डाल रहे विद्यार्थी। ये विद्यार्थी न केवल नाव से नदी पार करते हैं। बल्कि उसी नाव से वे नदी पार कर अपने घर पहुंचते हैं। इसकी बानगी रोजाना परसवाड़ा विधानसभा क्षेत्र के ग्राम परसवाड़ा से बोरी गांव के बीच घिसर्री नदी में देखा जा सकता है। भले ही शासन ने कोरोना काल के चलते करीब डेढ वर्ष बाद हाल ही में स्कूलों के संचालन के आदेश दिए हैं। शासन के आदेश के बाद स्कूल शुरू हो गए हैं। वहीं ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों का भी स्कूल आना-जाना शुरू हो गया है। लेकिन बोरी, परसवाड़ा सहित समीपस्थ अन्य गांवों के छात्र-छात्राएं अपनी जान जोखिम में डालकर नाव से नदी पार कर स्कूल पहुंचते हैं। इधर, समय और फेरा से बचने के लिए ग्रामीणों द्वारा भी इसी रास्ते का उपयोग किया जाता है।
नदी से नाव के सहारे आवागमन करने के दौरान बच्चों की जान हमेशा हथेली पर रहती है। दरअसल, इनके पास न तो कोई लाइफ जैकेट होता है और न ही इनकी सुरक्षा के लिए कोई साधन। ये विद्यार्थी केवल केवट को ही अपनी सुरक्षा मानकर नदी पार करते हैं। यह समस्या बारिश के दिनों में रोजाना देखी जा सकती है।
जानकारी के अनुसार जिला मुख्यालय से करीब १० किमी दूर स्थित परसवाड़ा और बोरी के बीच घिसर्री नदी प्रवाहित है। इस नदी में मौजूदा समय में जल स्तर बढ़ा हुआ है। ऐसे में इस नदी से विद्यार्थियों द्वारा अपनी जान जोखिम में डालकर उसे पार करना कितना खतरनाक है, इसका अंदाजा स्वयं लगाया जा सकता है। विद्यार्थियों की माने तो वे लिंगा में संचालित शाला में शिक्षा अध्ययन करने के लिए जाते हैं। यदि वे मुख्य मार्ग से होते हुए शाला पहुंचे तो उन्हें रोजाना करीब १० किमी का अतिरिक्त सफर तय करके जाना पड़ता है। जबकि नदी क्रॉस करके जाने में न केवल उनका समय बचता है। बल्कि दूरी भी कम होकर महज दो-तीन किमी की हो जाती है। जिसके कारण वे नाव के सहारे नदी पार करके स्कूल जाते हैं।
हो सकता है हादसा
नाव से घिसर्री नदी को पार करने के दौरान कभी भी गंभीर हादसा हो सकता है। खासतौर पर बारिश के दिनों में यह खतरा उस समय और बढ़ जाता है, जब नदी उफान पर होती है। ग्रामीणों की माने तो अभी तक ऐसा हादसा तो हुआ नहीं है, लेकिन इसकी संभावना से इंकार भी नहीं किया जा सकता। इधर, विडम्बना यह है कि प्रशासनिक अधिकारियों को इस बात की जानकारी होने के बाद भी वहां किसी भी प्रकार की कोई व्यवस्थाएं नहीं की गई है।
वर्षों पुरानी समस्या
घिसर्री नदी पर पुल नहीं बना होना वर्षों की समस्या है। ग्रामीणों ने पुल निर्माण के लिए अनेक बार जनप्रतिनिधियों और प्रशासनिक अधिकारियों को आवेदन दे चुके हैं, लेकिन किसी ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। जिसके कारण समस्या जस की तस बनी हुई है। घिसर्री नदी से नाव पर सवार होकर अपने गंतव्य स्थल तक पहुंचना विद्यार्थियों ही नहीं बल्कि ग्रामीणों की भी दिनचर्या में शामिल हो गया है। भले ही दूसरों को देखने में यह डरावना लगता है, लेकिन यह डर ग्रामीणों के लिए आम हो गया है।

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