बांस से बनाए जाएंगे फर्नीचर, उद्योग की होगी स्थापना

बांस की खेती को प्रोत्साहित करने प्रशासन ने तैयार की योजना, एक जिला एक उत्पाद के अंतर्गत बांस की खेती को मिलेगा प्रोत्साहन

<p>बांस से बनाए जाएंगे फर्नीचर, उद्योग की होगी स्थापना</p>
बालाघाट. एक जिला एक उत्पाद के तहत बालाघाट जिले में चिन्नौर चावल व बांस का चयन किया गया है। जिले में बांस के उत्पादन व उस पर आधारित लघु, कुटीर व वृहत स्तर के व्यवसाय को प्रोत्साहन देने और उसे बाजार उपलब्ध कराया जाएगा। इसके लिए हाल ही में कलेक्टर दीपक आर्य की अध्यक्षता में अधिकारियों की एक बैठक भी हुई।
बैठक में बताया गया कि एक जिला एक उत्पाद के अंतर्गत बालाघाट जिले में चिन्नौर चावल व बांस का चयन किया गया है। बालाघाट के चिन्नौर के चावल को उसकी गुणवत्ता, शुद्धता के साथ बालाघाट क्लासिक चिन्नौर ब्रांड के साथ मार्केट में लांच करने की तैयारी है। इसके साथ ही जिले में बांस के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए किसानों को बांस के खेती करने के लिए प्रोत्साहन देने और बांस पर आधारित लघु, कुटीर व वृहत स्तर के उद्योगों को प्रोत्साहन देने की तैयारी की जा रही है। जिससे लोगों को बांस आधारित उद्योगों से रोजगार मिल सके और बालाघाट जिले को बांस के नाम से एक नई पहचान मिल सकेगी।
कलेक्टर आर्य ने कहा कि किसान अपनी खाली व अनुपयोगी जमीन पर बांस की खेती करें तो उन्हें मनरेगा व बांस मिशन से अनुदान उपलब्ध कराया जाएगा। बांस की खेती से पहले चार साल तक कोई उत्पादन नहीं मिलेगा, लेकिन उसके बाद हर वर्ष अन्य परंपरागत फसलों की तुलना में अधिक आय मिलने लगेगी। जिले में अगरबत्ती निर्माण के लिए बांस काड़ी के व्यवसाय को प्रोत्साहित किया जाएगा। इसके साथ ही बांस के फर्नीचर को भी प्रोत्साहित किया जाएगा।
वन मंडलाधिकारी बृजेश श्रीवास्तव ने बताया कि जिले में हर वर्ष 35 हजार नोशनल टन बांस का उत्पादन होता है। जिले में कटंग, टूल्डा व बालकुंवर प्रजाति का बांस पाया जाता है। टूल्डा प्रजाति का बांस अगरबत्ती काड़ी बनाने के काम आता है। जबकि कटंग प्रजाति का बांस फर्नीचर आदि के काम में आता है। बांस से चारकोल बनाया जाता है और इस चारकोल का उपयोग सौन्दर्य प्रसाधन सामग्री, कास्मेटिक बनाने में किया जाता है। बांस मिशन के अंतर्गत लोगों को बांस की खेती के लिए प्रोत्साहन दिया जा रहा है। जिले में अगरबत्ती काड़ी निर्माण की 25-25 लाख रुपए की तीन यूनिट 50 प्रतिशत अनुदान पर लगाई जा रही है। इसके साथ ही बांस के वेस्टेज मेनेजमेंट के लिए भी एक यूनिट जिले में लगाई जा रही है।
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