जनगणना फॉर्मेट में ओबीसी वर्ग का कॉलम रखने की मांग
बालाघाट. ओबीसी महासभा बिरसा के द्वारा 2021 में होने वाली जनगणना में ओबीसी की जाति का कॉलम को लेकर डॉ भगवानलाल साहनी अध्यक्ष राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग भारत सरकार, शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री मप्र शासन, रामखेलावन पटेल राज्यमंत्री पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण विभाग मप्र शासन के नाम गुरूवार को तहसील बिरसा के तहसीलदार दिलीप कुमार को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में मुख्य रूप से जनगणना फॉर्मेट में ओबीसी का कॉलम बनवाने, ओबीसी की जातिगत गिनती करने, मप्र के विभिन्न शासकीय संस्थानों में अध्यनरत ओबीसी के छात्रों को मिलने वाली पोस्टमैट्रिक छात्रवृत्ति की पात्रता के लिए माता पिता, अभिभावक की वार्षिक आय सीमा का बंधन समाप्त करने तथा अशासकीय संस्थाओं के लिए वार्षिक आय सीमा 8 लाख रुपए किए जाने जैसे बिंदुओं को प्राथमिकता दी गई है। आजादी के पूर्व भारत में जातिगत जनगणना होती थी। लेकिन आजादी के बाद से आज तक जातिगत जनगणना नहीं हुई है। जिसका खामियाजा ओबीसी वर्ग को भुगतना पड़ रहा है। भारत में जातिगत जनगणना अंतिम बार 1931 में हुई थी। 1931 की जनगणना के आधार पर ही द्वितीय पिछड़ा वर्ग आयोग अर्थात मंडल कमीशन ने पिछड़ी जातियों की आबादी 52 प्रतिश बताई थी और उसके लिए आरक्षण की सिफारिश की थी। 2021 में होने वाली जनगणना में दूसरे वर्ग का कॉलम है, लेकिन ओबीसी वर्ग का कॉलम नही हंै। ऐसे में ओबीसी वर्ग को मिलने वाला संवैधानिक हक नही मिल पाता है। इसके अतिरिक्त ओबीसी वर्ग के कुल जातियों की वास्तविक संख्या की जानकारी भी नहीं मिल पाती है। अत: जनगणना फॉर्मेट में ओबीसी वर्ग का कॉलम होना ही चाहिए। ज्ञापन देने के दौरान हेमन्त साहू, निखिल बिसेन, वैभव बोपचे, अविरल बिसेन, महेश बिसेन, लवकुश, धनुकलाल यादव, गंगाराम बघेल, नैनु तिल्लासी, अमन कटरे, मनोज राणा आदि उपस्थित रहे।