बालाघाट

वोट मिलने के बाद मतदाताओं को भूले माननीय

5 वर्ष तक न ली सुध, न दी कोई बड़ी सौगात

बालाघाटSep 12, 2018 / 12:38 pm

Bhaneshwar sakure

वोट मिलने के बाद मतदाताओं को भूले माननीय

भानेश साकुरे
बालाघाट. विधानसभा चुनाव2013 को पांच वर्ष बीतने को जा रहे है। लेकिन माननीय वोट मिलने के बाद मतदाताओं को भूल गए हैं। विडम्बना यह है कि इन पांच वर्षों में माननीयों ने न तो मतदाताओं की कोई सुध ली और न ही उस क्षेत्र को कोई बड़ी सौगात दी। जहां से इन माननीय को विधानसभा चुनाव 2013 में सर्वाधिक मत मिले हैं। पत्रिका ने सबसे पहले कटंगी विधानसभा क्षेत्र के उन बूथों की स्थिति का जायजा लिया, जिन बूथों में सर्वाधिक मत भाजपा और कांग्रेस प्रत्याशियों को चुनाव के दौरान मिले थे। कटंगी विधानसभा क्षेत्र में भाजपा प्रत्याशी केडी देशमुख निर्वाचित हुए है। विधायक केडी देशमुख को ग्राम पंचायत गोरेघाट के हेटी के बूथ क्रमांक 3 में सर्वाधिक मत मिले है। जबकि कांग्रेस प्रत्याशी और पूर्व सांसद विश्वेश्वर भगत को महकेपार के बूथ क्रमांक 17 में सर्वाधिक मत मिले है। हालांकि, यहां पर निकटतम प्रतिद्वंदी के रुप में बसपा प्रत्याशी उदयसिंह पंचेश्वर रहे हैं।
जहां थे सरताज, वहां क्या आज (भाजपा)
विधानसभा क्षेत्र- कटंगी
बूथ नंबर-3
मतदान केन्द्र- शासकीय कन्या प्राथमिक शाला भवन का अतिरिक्त कक्ष हेटी
2013 में मतदान-891
भाजपा को मिले वोट-605
आज तक नहीं बन पाई सड़क
कटंगी विधानसभा क्षेत्र का ग्राम पंचायत गोरेघाट का हेटी गांव। इस क्षेत्र में समस्याएं आज भी वैसे ही, जैसे की विधानसभा चुनाव 2013 में थी। इस गांव में पांच वार्ड है। यहां की जनसंख्या करीब 1200 है।
विधानसभा चुनाव की दृष्टि से देखे तो यह वही मतदान केन्द्र हैं, जिसमें वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में भाजपा विधायक केडी देशमुख को पूरे विधानसभा क्षेत्र में सर्वाधिक मत मिले थे। यह मतदान केन्द्र शासकीय कन्या प्राथमिक शाला भवन के अतिरिक्त कक्ष हेटी के बूथ नंबर 3 है। यहां वैसे तो कोई जातीय समीकरण नहीं है। लेकिन ग्रामीणों ने चर्चा में बताया कि इस गांव में जनप्रतिनिधि केवल चुनाव के दौरान ही आते हैं। यहां सड़क की समस्या वर्षों पुरानी है। आज तक गांव के पहुंचने के लिए पक्का रास्ता नहीं बन पाया। इस गांव के लिए एक रास्ता में महकेपार से गोरेघाट होते हुए हेटी और दूसरे रास्ता में महकेपार से कन्हडग़ांव होते हेटी पहुंचा जाता है। लेकिन आज तक दोनों ही मार्ग में पक्की सड़क नहीं बन पाई। बारिश होने पर यह मार्ग कीचड़ में तब्दील हो जाता है। इसी तरह नल-जल योजना नहीं होने से हर समय पेयजल की समस्या बनी रहती है। पेयजल के लिए आधा किमी का सफर तय करना पड़ता है। बिजली तो है लेकिन उसके आने-जाने का कोई समय नहीं है। गांव में आज तक स्ट्रीट लाइट नहीं लग पाई। पंचायत के माध्यम से ग्रामीणों ने अनेक बार माननीय से समस्याओं की गुहार भी लगाई, लेकिन समस्या का अभी तक समाधान नहीं हो पाया।
सामाजिक कार्यकर्ता हितेश डहरवाल, सूरज येले, छोटू कारेड़े, भारत येले सहित अन्य ने बताया कि उन्होंने गांव का विकास होगा, यह सोचकर भाजपा को वोट दिया था। लेकिन भाजपा विधायक इस पर खरे नहीं उतरे। आज भी समस्याएं विद्यमान है। हालंाकि, यहां के कुछेक ग्रामीणों को शासन की योजनाओं का लाभ तो मिला है। लेकिन शेष ग्रामीण अभी योजनाओं के लाभ से वंचित है।
जहां थे सरताज, वहां क्या आज (कांग्रेस)
विधानसभा क्षेत्र- कटंगी
बूथ नंबर-17
मतदान केन्द्र- महकेपार-3, शासकीय माध्यमिक शाला भवन महकेपार
2013 में मतदान-1107
कांग्रेस को मिले वोट-471
पेजयल की समस्या का नहीं हो पाया निराकरण
कटंगी विधानसभा क्षेत्र का ग्राम पंचायत महकेपार गांव। महकेपार-३ के शासकीय माध्यमिक शाला भवन मतदान केन्द्र के अंतर्गत तीन वार्ड आते हैं। इन वार्डों की आबादी करीब आठ सौ है। इस वार्ड में आज भी पेयजल की समस्या बनी हुई है।
विधानसभा चुनाव की दृष्टि से देखे तो तो यह वही मतदान केन्द्र हैं, जिसमें वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी व पूर्व सांसद विश्वेश्वर भगत को पूरे विधानसभा क्षेत्र में सर्वाधिक मत मिले थे। यह मतदान केन्द्र शासकीय माध्यमिक शाला भवन महकेपार-३ है। इस गांव के वार्डों में पीने के पानी की समस्या का आज तक हल नहीं हो पाया है। नल-जल योजना तो है, लेकिन उसका क्रियान्वयन नहीं हो पाता है। बिजली की समस्या हमेशा बनी रहती है। कहने के लिए 24 घंटे बिजली मिल रही है, लेकिन अघोषित व मेंटनेस के नाम पर कभी भी बत्ती गुल कर दी जाती है। यहां विकास के नाम पर सीसी सड़क ही बनी हुई है। नालियां भी पुरानी ही है। अभी तक यहां कोई अतिरिक्त कक्ष नहीं बन पाया है। विडम्बना यह है कि कांग्रेसी नेता विश्वेश्वर भगत यहां सर्वाधिक वोट मिलने के बाद उसकी सुध लेने के नहीं पहुंचे। भले ही यहां भाजपा को कम वोट मिले है, लेकिन यहां भाजपा विधायक लगातार सक्रिय है। वे जनता से लगातार संपर्क बनाए हुए है। महकेपार क्षेत्र बड़ा होने के साथ-साथ अन्य गांवों का केन्द्र भी है। जिसके चलते यहां काफी वर्षों से कॉलेज खोले जाने की मांग उठ रही है, लेकिन यह आज तक पूरी नहीं हो पाई है।
ग्रामीण राजेन्द्र सोनवाने के अनुसार यहां कार्य तो हुए हैं, लेकिन रोड की समस्या यथावत है। बोनकट्टा मुख्य मार्ग से लेकर महकेपार तक पहुंचने वाली सड़क हमेशा जर्जर हो जाती है। जिसकी वजह से ग्रामीणों को आवागमन में परेशानी होती है। इसी तरह भूपेन्द्र सोनवाने ने बताया कि पेयजल की समस्या का आज तक निराकरण नहीं हो पाया है।

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