वन्यप्राणी चीतल के मांस सहित 5 गिरफ्तार

डोंगरगांव के पास नहर किनारे किया था शिकार-

<p>वन्यप्राणी चीतल के मांस सहित 5 गिरफ्तार</p>
तिरोड़ी। वन्यप्राणी चीतल का शिकार कर मांस पकाकर खाने की योजना बना रहे 5 आरोपियों को वन विभाग ने रंगेहाथों गिरफ्तार कर लिया है। इन सभी आरोपियों को वन्यप्राणी के कच्चे मांस एवं खाना पकाने के कुछ बर्तन तथा शिकार के लिए प्रयुक्त की गई कुल्हाड़ी के साथ दबोचा गया है। मुखबिर की सूचना के आधार पर वन परिक्षेत्र अधिकारी हिमांशु राय के नेतृत्व में वन विभाग ने उक्त कार्रवाई को अंजाम दिया है। आरोपियों के खिलाफ वन अपराध प्रकरण क्रमांक 11828/1 दर्ज कर लिया गया है। मिली जानकारी अनुसार सुखचंद पिता श्यामलाल (45) जामुनटोला तिरोड़ी, मुकेश पिता शंकर (32) खादीटोला तिरोड़ी, 3 अनिल पिता कुंवरसिंग (24) खादीटोला तिरोड़ी, रमेश पिता मंगलू (39) तिरोड़ी एवं किरण पिता दीपक (23) तिरोड़ी ने मिलकर तिरोड़ी के ग्राम हीरापुर बिट के कक्ष क्रमांक 771 डोंगरगांव के पास नहर के किनारे चीतल का शिकार किया था। वन विभाग ने आरोपियों के पास से साढ़े 4 किलो मांस जब्त किया है। इन सभी आरोपियों को न्यायालय के समक्ष पेश किया गया, जहां से सभी को उपजेल वारा भेज दिया गया है। वनमंडलाधिकारी अनुराग कुमार के निर्देशन एवं उपवनमंडलाधिकारी अमित पाटौदी के मार्ग दर्शन तथा वन परिक्षेत्र अधिकारी हिमांशु राय के नेतृत्व में वन परिक्षेत्र सहायक एलएल कटरे, दिलीप चैहान वन रक्षक जितेंद्र उइके, शिवनारायण सिंग, गणेश शंकर नगरगढ़े, दिनेश लिल्हारे, नरसिंग दास शर्मा, सुरक्षा श्रमिक महेश कर्मे, कमल साहू, विशाल खरोले एवं नरेन्द्र का सराहनीय सहयोग रहा।
उल्लेखनीय है कि गर्मी का मौसम आते ही जंगलों में वन्यप्राणियों के लिए पीने के पानी की किल्लत बनती है। वनक्षेत्रों में पेयजल के स्त्रोत सूखने की वजह से वन्यप्राणी पानी के लिए भटकते हुए बसाहट या फिर मैदानी क्षेत्र की ओर आते हैं। इसी बात का शिकारियों के द्वारा फायदा उठाया जाता है। जैसा कि चीतल का शिकार नहर के पास किया गया है ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि वन्यप्राणी पीने के पानी की तलाश में नहर तक पहुंचा होगा। जिसका शिकारियों ने शिकार कर लिया। ज्ञात हो कि ऐसी स्थिति पहली बार उत्पन्न नहीं हो रही हो रही अपितु हर साल गर्मियों में वन्यजीव प्यास से बेहाल होकर मुख्य मार्गो सहित वनग्रामों के बाद मैदानी क्षेत्रों की तरफ बढऩे लगते हैं। हालाकिं वन विभाग जंगल के भीतर पेयजल के स्त्रोत तैयार करता है। लेकिन इन तमाम प्रयासों के बावजूद वन्यप्राणी गांव तक आ जाते हैं और शिकार बन जाते है।
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