वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए सेंचुरी कॉरिडोर में बनेगा फ्लाईओवर, शासन से मिली मंजूरी

वन्य जीवों की सुरक्षा को लेकर शासन की तरफ से कतर्निया जंगल से निकलने वाले मार्ग पर फ्लाईओवर बनाने की मंजूरी मिल गई है।

<p>वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए सेंचुरी कॉरिडोर में बनेगा फ्लाईओवर, शासन से मिली मंजूरी</p>
बहराइच. जिले में कतर्निया सेंचुरी रेंज सहित कई सेंचुरी कॉरिडोर में ओवरब्रिज का निर्माण किया जाएगा। वन्य जीवों की सुरक्षा को लेकर शासन की तरफ से कतर्निया जंगल से निकलने वाले मार्ग पर फ्लाईओवर बनाने की मंजूरी मिल गई है। सेंचुरी रेंज क्षेत्र में विचरण करने वाले तमाम दुर्लभ वन्य जीवों को सड़क हादसों से बचाने के लिए जंगल में फ्लाइओवर बनाने का फैसला लिया गया है। DFO कतर्निया ज्ञान प्रकाश सिंह ने बताया कि जंगल से निकलने वाला ओवर ब्रिज तकरीबन 4 किलोमीटर लंबा होगा। भारत-नेपाल सीमा पर नोमेंस लैंड के समानांतर सड़क निर्माण होना है। कतर्नियाघाट वन संरक्षित क्षेत्र से इस सड़क के गुजरने के कारण हजारों वृक्षों के साथ-साथ दुर्लभ वन्यजीवों के प्राकृतिक वास एवं सुरक्षा को खतरा उत्पन्न हो गया था।
हजारों पेड़ों को बचाने के साथ ही वन्य जीवों के स्वच्छंद विचरण की समस्या व जानवरों के साथ अक्सर होने वाले तमाम तरह के हादसों को ध्यान में रखते हुए, अब जंगल में फ्लाइओवर बनाने का फैसला लिया गया है। जंगल से निकलने वाली सड़क की चौड़ाई दस मीटर किये जाने की रूपरेखा तय की गई है। फ्लाईओवर के निर्माण पर तकरीबन 80 करोड़ रुपये का खर्च आएगा।
वन संरक्षित कॉरिडोर में बनेगा फ्लाईओवर

भारत-नेपाल सीमा पर आवागमन सुगम करने और सीमा की सुरक्षा के लिए नोमेंस लैंड पर बार्डर डेवलेपमेंट परियोजना के तहत बहराइच में कतर्नियाघाट वन्यजीव प्रभाग में 46 किलोमीटर और बहराइच वन प्रभाग में 23 किलोमीटर सड़क का निर्माण होना है। डीएफओ ज्ञान प्रकाश सिंह के मुताबिक परियोजना के तहत 20 मीटर चौड़ी सड़क के निर्माण में पहले आठ हजार से अधिक पेड़ रोड़ा बन रहे थे। इसके अलावा कतर्नियाघाट संरक्षित वन प्रभाग और नेपाल के रायल बर्दिया नेशनल पार्क को जोड़ने वाला खाता कारीडोर भी पांच स्थानों पर बंद हो रहा है। इससे बाघ, हाथी, गैंडा, तेंदुआ समेत कई वन्यजीवों का आवागमन भारत-नेपाल के जंगलों में सुगम नहीं रह जाएगा। इस समस्या पर वन और पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों ने मंथन किया। इसके सेंचुरी रेंज इलाके में फ्लाईओवर का निर्माण किए जाने का फैसला किया।
वन्यजीवों के स्वछंद विचरण के लिए बनेगा फ्लाईओवर

संरक्षित क्षेत्र कतर्नियाघाट में लगे हजारों पेड़ों को बचाने और दुर्लभ वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए फ्लाईओवर ही एक मात्र रास्ता है। इसके लिए पीडब्ल्यूडी अधिकारियों ने जंगल क्षेत्र का मुआयना किया। खाता कारीडोर, कौड़ियाला और गेरुआ नदियों पर फ्लाईओवर बनेगा। प्रभागीय वनाधिकारी कतर्नियाघाट वन्यजीव प्रभाग ज्ञान प्रकाश सिंह ने बताया कि इंडो-नेपाल बॉर्डर रोड के नाम से प्रोजेक्ट है। यह पूरे बॉर्डर के समानांतर भारत-नेपाल सीमा पर बनाया जा रहा है। इसका निर्माण लोक निर्माण विभाग द्वारा हो रहा है। योजना करीब 6/7 साल पुरानी है। उन्होंने बताया कि सड़क निर्माण के लिए पहले चौड़ी सड़क का प्रस्ताव था, जिसमें कतरनिया घाट संरक्षित वन्यजीव प्रभात क्षेत्र के काफी पेड़ आ रहे थे। इसके कारण सड़क की चौड़ाई को 10 मीटर तक सीमित कर दिया गया है। इसी के अनुसार पुनः सर्वे किया गया है।
कॉरिडोर क्षेत्र में फ्लाईओवर बनाने का प्रस्ताव स्वीकार

सर्वे के अनुसार करीब 2000 वृक्ष सड़क मार्ग में आ रहे हैं, जबकि पिछले सर्वे में करीब 8000 वृक्ष आ रहे थे। डीएफओ ने बताया कि कतरनिया घाट और पड़ोसी राष्ट्र नेपाल के बर्दिया नेशनल पार्क से वन्यजीवों का आवागमन होता है। ये एक जंगल से दूसरे जंगल को आया-जाया करते हैं। सीधे मार्ग बनने से दुर्लभ जीवों का आवागमन बाधित होता है, उनके जीवन को क्षति भी पहुंच सकती थी। उन्होंने बताया कि सुरक्षा को दृष्टिगत रखते हुए वन विभाग ने खाता कॉरिडोर क्षेत्र में फ्लाईओवर बनाने का प्रस्ताव रखा, जिसे स्वीकार कर लिया गया है। अब प्रदेश के बलरामपुर के सोहरवा खीरी के दुधवा और पीलीभीत के वन्य जीव संरक्षण क्षेत्रों में भी इसी तरह सीमा सड़क का निर्माण कराया जाएगा।
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