बता दें कि रोडवेज विभाग में परिचालकों और यातायात निरीक्षकों के बीच अक्सर विवाद होता है। परिचालक यातायात निरीक्षक पर अक्सर चेकिंग के नाम पर उत्पीड़न करने व अवैध वसूली का आरोप लगात है। इससे अक्सर विवाद होता है। अब विभाग ने विवादों से बचने और सिस्टम में पारदर्शिता के लिए बाॅडी वाॅर्न कैमरे के प्रयोग का फैसला किया है।
उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक धीरज साहू ने दिशा निर्देश में कहा है कि प्रवर्तन कार्य को पारदर्शी एवं प्रभावी बनाने के उद्देश्य से प्रवर्तन दल द्वारा बॉडी वॉर्न कैमरा का प्रयोग करते हुए, प्रवर्तन कार्य को संपादित किया जाएगा। प्रत्येक बस के निरीक्षण के समय कैमरे को आन रखते हुए कार्रवाई की रिकार्डिंग की जाएगी। निरीक्षण कार्य समाप्ति के उपरांत समस्त बसों की रिकार्डिंग क्षेत्रीय प्रबंधक व सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक कार्यालय में प्रवर्तन पटल सहायक के कंप्यूटर पर सुरक्षित रखी जाएगी। रोजाना निरीक्षण कार्य से संबंधित डीसीआर भी अनिवार्य रूप से सुरक्षित रखे जाएंगे।
एक दिसंबर 2020 से बिना बॉडी वॉर्न कैमरा के प्रवर्तन दलों द्वारा की गई मार्ग चेकिंग मान्य नहीं होगी। इसके साथ ही उस दिन का डीसीआर आधारित यात्रा देयकों का भुगतान भी नहीं किया जाएगा। मुख्यालय के द्वारा उक्त कार्यों का रैंडम आधार पर की गई रिकार्डिंग चेकिंग भी की जाएगी। इस संबंध में क्षेत्रीय प्रबंधक अतुल त्रिपाठी का कहना है कि बस में चेकिंग के दौरान बिना टिकट यात्रा प्रकरण को लेकर परिचालक व निरीक्षक के बीच झगड़ा होता है। इसे गंभीरता से लेते हुए चेकिंग कर्मियों के बॉडी पर कैमरा लगाया जा रहा है। इस कैमरे में रिकार्ड हुए घटनाक्रम को साक्ष्य के रूप में रखा जाएगा। जिससे कि सच्चाई का पता चल सके। साथ ही बिना टिकट यात्रियों के गंभीर प्रकृति के प्रकरणों एवं ड्यूटीरत चालक व परिचालक द्वारा निरीक्षणकर्ताओं से किए गए अभद्र व्यवहार की रिकार्डिंग की सीडी बनाकर कर्मचारी के अनुशासनिक प्रकरण पत्रावली में रखी जाएगी, ताकि सुनवाई के समय सक्षम स्तर यथा नियुक्ति अधिकारी, अपीलीय अधिकारी व रिजीवन अधिकारी तथा न्यायालय आदि के समक्ष संबंधित रिकार्डिंग एवं डीसीआर साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किया जा सके।
BY Ran vijay singh