बता दें कि मूलरूप से सगड़ी विधानसभा क्षेत्र के नरायनपुर गांव निवासी वंदना सिंह को राजनीति विरासत में मिली है। वंदना के ससुर राम प्यारे सिंह व पति सर्वेश सिंह सीपू भी सगड़ी विधानसभा क्षेत्र से विधायक रह चुके है। रामप्यारे सिंह मुलायम सिंह सरकार में पर्यावरण मंत्री भी रहे।
वर्ष 2013 में सर्वेश सिंह सीपू की हत्या के बाद परिवार की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने के लिए वंदना सिंह राजनीति में उतरी। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में बसपा ने इन्हें सगड़ी से टिकट दिया।
पूर्व विधायक सर्वेश सिंह सीपू की हत्या के बाद परिवार के प्रति सहानभूति की लहर ने वंदना सिंह को आसानी से विधानसभा पहुंचा दिया। वंदना सिंह को कर्मठ और संवेदनशील नेताओं में गिना जाता है। कारण कि वह सत्ता से दूर होने के बाद भी अपने क्षेत्र की जनता के हर सुख दुख में भागीदार बनने की कोशिश करती रही है।
गुरुवार को बसपा मुखिया मायावती ने पार्टी से बगावत करने के आरोप में सात विधायकों को निलंबित कर दिया। इसमें सगड़ी विधायक वंदना सिंह भी शामिल हैं। वंदना पर सपा मुखिया अखिलेश यादव से मुलाकात करने व पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप हैं। अब वंदना सहित सभी सात विधायकों के विधानसभा की सदस्यता समाप्त करने की कार्यवाही की जा रही है।
बसपा मुखिया के इस फैसले से वंदना के परिवार के लोग व समर्थक हतप्रभ हैं। खुद वंदना सिंह भी खुद को पार्टी मुखिया के फैसले से हतप्रभ बता रही है। वंदना सिंह का दावा है कि किसी से मिलना तो दूर वह अपने घर से बाहर ही नहीं निकली हैं। यह बात वह मीडिया से पहले भी कह चुकी हैं कि उनकी पार्टी के प्रति पूरी आस्था है और वे पार्टी के हर फैसले के साथ खड़ी हैं। वंदना का कहना है कि वह इस संबंध में पार्टी को एक पत्र भी लिख रही हैं।
BY Ran vijay singh