जिलाध्यक्ष कमला राय ने कहा कि वर्तमान में केंद्र सरकार की कार्यशैली और मंशा मात्र पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने की है। इसी रवैये के कारण देश को आगामी दिनों में बड़ी कीमत चुकानी होगी। केंद्र सरकार द्वारा जो बीते 05 जून 2020 को तीन अध्यादेश और बिजली संशोधन कानून लाकर अपने निर्णय को जनता पर थोपने का काम किया गया वह दुर्भाग्यपूर्ण है।
प्रदेश अध्यक्ष इम्तेयाज बेग ने कहा कि सरकार द्वारा लाये गये अध्यादेश में आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 में संशोधन हुआ है कि अनाज, दलहन, तिलहन आवश्यक वस्तु नहीं रहेंगी। उक्त निर्णय को तत्काल वापस लिया जाये अन्यथा पूंजीपति अनाज का भंडारण कर जनता के भूख के साथ सौदा करेंगे। कृषि उपज वाणिज्य एवं व्यापार-संवर्धन एवं सुविधा अध्यादेश 2020 को वापस लिया जाए क्योंकि बड़े व्यापारियों को खुली छूट मिल जायेगी। अध्यादेश में एमएसपी रेट का कोई जिक्र तक नहीं है। देश की 6500 एपीएमसी मंडियों में लूट के बाद भी सरकारी नियंत्रण के चलते किसानों को कुछ मिलता था। इस अध्यादेश के बाद व्यापारियों, उद्योगपतियों पर निर्भर होना पड़ेगा जिसके कारण किसान बर्बाद हो जायेगा। मूल्य आश्वासन पर किसान (बंदोबस्ती और सुरक्षा) समझौता और कृषि सेवा अध्यादेश 2020 के बाद किसान को अनुबंध खेती (कान्टैक्ट फार्मिंग) के लिए बाध्य कर दिया जायेगा। किसान मालिक के बजाय मजदूर बन जायेगा। किसानों के गन्ने का दाम 450 रूपया प्रति कुंतल किया जाए ताकि गन्ना किसान बड़ी संख्या में लाभांवित हो और अपने फसल का उचित मूल्य प्राप्त कर सकें। किसानों के गेहूं और धान का समर्थन मूल्य 25 सौ रूपया प्रति कुंतल किया जाए। इस अवसर पर विश्राम चैहान, रामाज्ञा यादव, सुरेन्द्र यादव, रामनेत यादव, रतन यादव, सहनवाज बेग, गुलाब मौर्या, कमला राय, रामाश्रय आदि मौजूद रहे।
BY Ran vijay singh