BUDGET 2020-उम्मीदों पर खरा नही उतरा मध्यम वर्ग को राहत देने वाला वजट

बुनकरों में बजट से साफ दिख रही है निराशा

<p>Budget 2020</p>
रिपोर्ट:-रणविजय सिंह
आजमगढ़। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के दूसरे बजट को शनिवार को लोकसभा में पेश किया। टैक्स स्लैब में छूट, शिक्षा और गांव पर केंद्रित इस बजट को मध्यम वर्ग के लिए काफी मुफीद माना जा रहा है। बशर्ते सरकार ने जो घोषणाएं की है उसे एक साल में लागू कर सके। अर्थशास्त्रियों का मानना है कि बजट में की गयी घोषणाओं का सही ढंग से इम्प्लीमेंट किया जाय तो गांव और किसान की तस्वीर बदल जाएगी लेकिन जिस तरह पिछले बजट में की गयी घोषणाएं आज तक जमीन पर नहीं उतरी अगर वैसा ही इस बार होता है तो बहुत अधिक लाभ की उम्मीद भी नहीं की जा सकती है। वैसे मोदी सरकार के इस बजट से बुनकर, साड़ी के बड़े कारोबारी निराश है। उन्हें उम्मीद थी कि मंदी के इस दौर में साड़ी कारोबार को उबारने के लिए सरकार कुछ बड़ी घोषणाएं करेगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

बता दें कि इस बजट में टैक्स स्लैब को चार भागों में बांट कर टैक्स पेई लोगों को राहत देने का प्रयास किया गया है। पहले स्लैब में ढाई लाख की आमदनी वालों को टैक्स से छूट दी गई है। दूसरे स्लैब में ढाई लाख से पांच लाख तक पर पांच फीसद की दर से टैक्स लगेगा। तीसरे स्लैब में पांच लाख से साढ़े सात लाख तक की आमदनी पर 10 फीसद कर देना होगा जो पहले 20 फीसद था। इसी में साढ़े सात लाख से 10 लाख तक की आमदनी पर 15 फीसद की दर से कर देय होगा जो पहले 20 फीसद था। चैथे स्लैब में 10 लाख से साढ़े 12 लाख तक की आमदनी पर 20 फीसद की दर से टैक्स लगेगा जो पहले 30 फीसद था। इसी में साढ़े 12 लाख से 15 लाख तक आमदनी पर 25 फीसद की दर से कर लगेगा जो पहले 30 फीसद था। इसी स्लैब में 15 लाख रुपये से ऊपर की आमदनी पर पहले की तरह ही 30 फीसद की दर से टैक्स देना होगा। माना जा रहा है कि टैक्स दर कम होने से मध्यम आय वाले कारोबारी राहत महसूस करेंगे।

बैंक जमा पर ग्राहकों को पांच लाख रुपये तक की गारंटी को सरकार का महत्वपूर्ण फैसला माना जा रहा है। वहीं प्रीपेड मीटर लगने से विद्युत चोरी रूकेगी और विद्युत आपूर्ति बेहतर होगी। बजट में किसानों पर विशेष फोकस किया गया है जो 80 प्रतिशत आबादी के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। खासतौर पर आजमगढ़ जैसे मंडल के लिए जहां 83 प्रतिशत लोग खेती पर निर्भर करते है। किसानों को उम्मीद है कि आने वाले समय में सरकार किसान निधि की धनराशि और बढ़ाएगी। लोगों को स्वास्थ्य सेवाओं के भी बेहतर होने की उम्मीद है। माना जा रहा है कि यदि सरकार 150 उच्च शिक्षण संस्थान शुरू करती है तो शिक्षा व्यवस्था तो सुधरेगी ही साथ ही रोजगार कि अवसर भी बढ़ेगे।

वहीं कारोबारियों को उम्मीद है कि सरकार जीएसटी की नई व्यवस्था मंदी और कारोबारियों की समस्याओं को ध्यान में रखकर लागू करेगी। ताकि कारोबार में आने वाली दिक्कत समाप्त हो। वहीं बजट से एक बड़ा तबका निराश भी है। खासतौर पर बुनकर, कुम्हार और महिलाएं। बुनकरों को उम्मीद थी कि सरकार इस बजट में साड़ी उद्योग को बढ़ावा देने के लिए कुछ अलग से प्राविधान करेगी। बुनकर अनीस, समसुद्दीन, असफर, अशफाक आदि का कहना है कि इस बजट में साड़ी उद्योग को नजरअंदाज किया गया है। जबकि आजमगढ़ ही नहीं बल्कि मऊ व वाराणसी में साड़ी उद्योग काफी पुराना है। अगर सरकार इस उद्योग को बेहतर बनाने के लिए बजट में अलग से प्राविधान करती तो न केवल बुनकरों की समस्या का समाधान होता बल्कि अर्थव्यवस्था भी मजबूत होती लेकिन सरकार ने हमें निराश किया है। पाटरी उद्योग से जुड़े महेंद्र, सीताराम, अभिषेक, मन्नू आदि का कहना है कि सरकार ने पाटरी को एक जनपद एक उत्पाद में शामिल किया है लेकिन केंद्र सरकार ने अपने बजट में इस उद्योग के लिए कोई अलग प्राविधान नहीं किया है। जबकि देश की बड़ी आबादी मिट्टी के बर्तन के कारोबार से जुटी है।
गृहणी उमा जायसवाल, प्रिया मिश्रा, निर्मला, अनीता, किरन सिंह, रीता पांडेय, चादनी सिंह आदि का कहना है कि सरकार ने बजट में महिलाओं के उत्थान की बात कही है लेकिन मंहगाई नियंत्रण को लेकर कोई प्राविधान नहीं किया गया है और ना ही ऐसी व्यवस्था की गयी है कि दैनिक उपयोग के सामाने की कीमत कम हो। फिर भी बजट संतोषजनक है।
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