अयोध्या में नया अध्याय, 80 के दशक में राममंदिर निर्माण के लिए विहिप को मिला था 8.29 करोड़

– गूंजा था नारा-सवा रुपैया दे दे रे भैया राम शिला के नाम का, राम के घर में लग जाएगा पत्थर तेरे नाम का- दो लाख गांवों में शिलान्यास यात्रा निकली थी- बड़ी संख्या में मिली थी चांदी की ईंट

<p>Ayodhya News</p>
पत्रिका लगातार.
महेंद्र प्रताप सिंह
अयोध्या. अयोध्या (Ayodhya) में भव्य राममंदिर (Ram Mandir) निर्माण के लिए श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट (Sri Ram Mandir trust) के बैंक खातों में अब तक 100 करोड़ जमा हो चुके हैं। दानराशि का मिलना जारी है। लेकिन, मंदिर निर्माण के लिए यह राशि अपर्याप्त है। ट्रस्ट का आंकलन है कि जब तक मंदिर बनकर तैयार होगा तब तक महंगाई बढ़ चुकी होगी। इसलिए 300-400 करोड़ की लागत आएगी। इसीलिए विश्व हिंदू परिषद (VHP) अभी से देशभर से चंदा लेने की योजना बना रहा है।
80 के दशक में राममंदिर आंदोलन शुरू हुआ था। तब भी शिलान्यास के पहले पूरे देश में विहिप ने व्यापक अभियान चलाया था। तब हर गली में नारा गूंजा था-सवा रुपैया दे दे रे भैया राम शिला के नाम का, राम के घर में लग जाएगा पत्थर तेरे नाम का। इस नारे के साथ पूरे देश में यात्राएं आयोजित की गईं। आठ अप्रेल 1984 को दिल्ली के विज्ञान भवन में विशाल धर्म संसद आयोजित हुई। और 9 नवंबर 1989 को अयोध्या में विवादित स्थल के पास राममंदिर का शिलान्यास हुआ था। 1989 में राममंदिर आंदोलन जब अपने चरम पर था तब देशभर से दस करोड़ हिंदू राममंदिर निर्माण आंदोलन से जुड़े थे। उस समय अकेले विहिप ने राममंदिर निर्माण के लिए 8.29 करोड़ का चंदा जुटाया था। लाखों रामभक्तों ने सोने-चांदी की ईंटें और नगदी दान की थी। अमरीका और ब्रिटेन से भी करोड़ों का चंदा आया था। दान में पत्थर भी आए।
ये भी पढ़ें- सीएम योगी लेंगे रामलला से दीपोत्सव की अनुमति, 24 घाटों पर जलेंगे करीब छह लाख दीपक

दो लाख गांवों में निकली थी शिलान्यास यात्रा-
विश्व हिंदू परिषद ने उस वक्त देश के दो लाख से ज्यादा गांवों में शिलान्यास यात्राएं निकालकर गांव-गांव और शहर से मंदिर निर्माण के लिए शिलाएं और ईंट जुटाईं। श्रीराम लिखी ये ईंटें भगवा कपड़ों में लिपटकर अयोध्या पहुंचीं। विहिप इन ईंटों के बदले अयोध्या की मिट्टी को प्रसाद या भगवान की भेंट के तौर पर बांटा था। तब तकरीबन 10 करोड़ लोग राम मंदिर निर्माण के अभियान से जुड़े थे।
चंदे की राशि से खर्च हो गए एक करोड़ 29 लाख-
वर्ष 1990 में विश्व हिंदू परिषद ने प्रेस नोट जारी कर बताया था कि 1989 में मंदिर आंदोलन के लिए 8.29 करोड़ रुपये का चंदा मिला था। इस चंदे में से 1 करोड़ 29 लाख खर्च हो गए थे। विहिप के प्रांतीय प्रवक्ता शरद शर्मा के अनुसार 1989-90 के बाद श्रीराम जन्मभूमि न्यास ने मंदिर निर्माण के लिए धनसंग्रह की कोई अपील नहीं की गई।
ये भी पढ़ें- रिमॉडल होंगे अयोध्या के घाट: राम मंदिर का निर्माण With Mahendra Pratap Singh

विहिप ने राममंदिर ट्रस्ट को सौंपा पैसा-
1985 में विश्व हिंदू परिषद ने राम जन्मभूमि न्यास की स्थापना की थी। यह न्यास ही मंदिर के लिए मिलने वाले चंदे का प्रबंधन देखता था। बताया जाता है कि ट्रस्ट को राशि और संपत्ति हस्तांरण से पहले न्यास के पास कुल 13 करोड़ की चल अचल संपत्ति थी। जिसमें समग्र निधि के रूप में न्यास के पास 8.5 करोड़ रुपये और अन्य निधि के रूप में लगभग 4.5 करोड़ रुपये थे। न्यास के पिछले साल भरे गए इनकम टैक्स रिटर्न में 11 करोड़ रुपये की अचल संपत्ति बताई गई थी। इसमें पत्थर काटने वाली मशीनों से लेकर मंदिर निर्माण की सामग्री तक शामिल थी। माना जाता है ट्रस्ट के खाते में करीब दो करोड़ की राशि ही ट्रांसफर की गयी। चांदी की ईंट और कारसेवकपुरम मे रखीं गयीं ईंटें भी अब ट्रस्ट को सौंप दी गयी हैं। तराशे गए पत्थर भी मंदिर में इस्तेमाल होगें।
30 करोड़ की राशि का अनुमान-
अपुष्ट सूत्रों के मुताबिक राममंदिर निर्माण के लिए 80 के दशक से अब तक देश की करीब 6 करोड़ जनता दान राशि दे चुकी है। यह राशि बैंक में रखने की वजह से ब्याज सहित 30 करोड़ तक पहुंच गई। लेकिन, विहिप सूत्रों के अनुसार इसमें से अधिकांश राशि विभिन्न मदों में अब तक खर्च हो गयी। बची राशि ही ट्रस्ट को हस्तांतरित की गयी।
दान पर उठते रहे हैं विवाद-
राममंदिर निर्माण को मिले चंदे की रकम को लेकर विवाद उठते रहे हैं। 2017 में निर्मोही अखाड़े के सदस्य सीताराम ने विहिप पर आरोप लगाया था कि मंदिर निर्माण के नाम पर उन्होंने 1400 करोड़ रुपए की रकम एकत्र की। इसी तरह 2015 में कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने राममंदिर निर्माण के दान में हेराफेरी का आरोप लगाते हुए कहा था 80 के दशक में दान के नाम पर 600 करोड़ रुपए जमा किए गए। हालांकि, उनके पास इसका कोई प्रमाण नहीं था। विहिप नेता इन आरोपों को ख़ारिज करते हुए कहते हैं कि सभी आरोप गलत हैं। संगठन ने स्थापना के साल 1964 से लेकर अब तक सभी पैसों का हिसाब दिया है।
Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.