महेंद्र प्रताप सिंह अयोध्या. Dhannipur Masjid in Ayodhya: अयोध्या में राममंदिर का निर्माण जारी है। मंदिर की नींव भरी जा रही है। लेकिन, शहर से 25 किलोमीटर दूर धन्नीपुर गांव में प्रस्तावित मस्जिद का निर्माण अब तक शुरू नहीं हो सका है। मस्जिद निर्माण के लिए गठित इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन ट्रस्ट ने गणतंत्र दिवस पर मस्जिद का सांकेतिक शिलान्यास किया था। नींव के लिए 20 मीटर गहराई तक मिट्टी के नमूने भी लिए गए थे। मिट्टी की भार वहन क्षमता, साल्ट और नमी सहित तकनीकी बिंदुओं की प्रयोगशाला से रिपोर्ट भी मिल चुकी है। फिर भी निर्माण कार्य में कोई प्रगति नहीं है।
इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन के अनुरोध पर ख्यातिलब्ध वास्तुकार और जामिया मिलिया इस्लामिया के आर्किटेक्ट विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर एसएम अख्तर ने दिसंबर माह में धन्नीपुर मस्जिद की डिजाइन पेश की थी। इस डिजाइन को अयोध्या विकास प्राधिकरण के वीसी विशाल सिंह को नक्शा पास करने के लिए सौंपा गया था। लेकिन, प्राधिकरण ने प्रस्तावित अस्पताल की डिजाइन पर आपत्ति जताते हुए मैप वापस कर दिया था। डिजाइन में आपत्ति के बाद इसमें सुधार के लिए नक्शे को प्रोफेसर एमएस अख्तर को भेजा था। प्रोफेसर अख्तर ने डिजाइन में सुधार करते हुए फाउंडेशन को दोबारा मैप भेज दिया है।
संशोधित नक्शा जल्द पेश करेंगे प्राधिकरण को फाउंडेशन के सचिव अतहर हुसैन का कहना है कि संशोधित नक्शे में पांच एकड़ की पूरी प्रोजेक्ट को 14 पार्ट में बांटा गया है। प्राधिकरण की मंशा के अनुरूप नक्शे के अंदरूनी भाग में कुछ बदलाव किया गया है। अब संशोधित नक्शे के साथ 7 सूत्री मांग पत्र भी प्राधिकरण को सौंपा जाएगा। नया नक्शा अप्रूव होते ही मस्जिद कांप्लेक्स का स्ट्रक्चर बनाने का काम शुरू होगा। मुंबई का एक बड़ा ग्रुप मस्जिद निर्माण करेगा। फाउंडेशन के प्रवक्ता अतहर हुसैन का कहना है कि फाउंडेशन की वजह से मस्जिद निर्माण में विलंब नहीं हो रहा। बल्कि, अयोध्या विकास प्राधिकरण ने ही मस्जिद की डिजाइन में आपत्तियां लगाते हुए काफी विलंब से मैप वापस किया। इसलिए मैप की डिजाइन को दोबारा बनाने में काफी समय लग गया।
16 माह में मिला सिर्फ 20 लाख मस्जिद निर्माण के लिए 16 माह में महज 20 लाख रुपए का ही चंदा मिलने पर बाबरी मस्जिद के पक्षकार रहे इकबाल अंसारी ने मस्जिद ट्रस्ट पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि ट्रस्ट पर लोग विश्वास नहीं कर पा रहे हैं। जफर फारूकी ने इसी निजी ट्रस्ट बना दिया है। इसके पहले आईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने भी कहा था, कि धन्नीपुर मस्जिद में नमाज पढऩा ‘हराम’ माना जाएगा। ओवैसी ने तो मस्जिद को इस्लाम के सिद्धांतों के खिलाफ बताते हुए इसे ‘मस्जिद-ए-ज़ीरार’ तक कह दिया था। इसी तरह ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य जफरयाब जिलानी भी मस्जिद के लिए जमीन लेने का शुरुआत से ही विरोध कर रहे हैं। हालांकि अतहर हुसैन कहते हैं सभी आरोप बेबुनियाद हैं। मस्जिद और अस्पताल के निर्माण के लिए आर्थिक मदद को लोग बेकरार हैं। सभी को दान के लिए आयकर की धारा 80 जी की छूट के आदेश का इंतजार है। आयकर छूट मिलते ही दान राशि बढ़ेगी। हुसैन का कहना है, फाउंडेशन का मुख्य उदद्ेश्य अस्पताल बनाना है। इस पर 100 करोड़ का खर्च आएगा। लेकिन, फाउंडेशन घर-घर जाकर सहयोग राशि नहीं मांगेगा। आयकर में छूट के बाद विदेश से आर्थिक सहयोग के लिए आवेदन किया जाएगा।