अयोध्या

राम मंदिर निर्माण कार्य में तेजी, तीन क्रेन, 10 ट्रक और 50 मजदूर की मदद से परिसर पहुंचने लगे नक्काशी किये पत्थर

शुक्रवार को मंदिर निर्माण कार्यशाला में रखे तराशे हुए पत्थरों को राम जन्मभूमि परिसर पहुंचाया गया ताकि आगे का काम तेजी से शुरू हो सके। मंदिर के निर्माण के लिए करीब तीन हजार घनफुट पत्थरों की आवश्यकता है जिसके लिए जल्द ही रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट अयोध्या लाने की व्यवस्था का काम भी करेगी।

अयोध्याOct 09, 2020 / 04:20 pm

Karishma Lalwani

राम मंदिर निर्माण कार्य में तेजी, तीन क्रेन, 10 ट्रक और 50 मजदूर की मदद से परिसर पहुंचने लगे नक्काशी किये पत्थर

सत्य प्रकाश
अयोध्या. राम मंदिर (Ram Mandir) का निर्माण कार्य अगले तीन साल में पूरा कर लिया जाएगा। निर्माण कार्य के कुछ कार्य करीब-करीब पूरे कर लिए गए हैं। मंदिर निर्माण के लिए परिसर में अंदर भूमि का समतलीकरण हो चुका है। जरूरी मशीनें जन्मभूमि परिसर पहुंच चुकीं हैं। लार्सन एंड टुब्रो (एलएंडटी) के इंजीनियर्स की निगरानी में टेस्ट पाइलिंग का काम भी शुरू हो चुका है। वहीं परिसर में अब तराशे हुए पत्थरों को पहुंचाने की कवायद तेज हो गई है। शुक्रवार को मंदिर निर्माण कार्यशाला में रखे तराशे हुए पत्थरों को राम जन्मभूमि परिसर पहुंचाया गया ताकि आगे का काम तेजी से शुरू हो सके। मंदिर के निर्माण के लिए करीब तीन हजार घनफुट पत्थरों की आवश्यकता है जिसके लिए जल्द ही रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट अयोध्या लाने की व्यवस्था का काम भी करेगी।
पत्थरों को ढोने में लगेंगे तीन क्रेन, 10 ट्रक व 50 मजदूर

एलएंडटी कंपनी के सुपरवाइजर मनोज सुनपुरा के कहा कि शुक्रवार से पत्थरों को राम जन्मभूमि परिसर ले जाने का कार्य शुरू हो गया है। पहले दिन दो पत्थरों को चयनित मार्गों से ले जाएगा। उन्होंने बताया कि इन पत्थरों को ले जाने के लिए तीन क्रेन और 10 ट्रक के साथ 50 मजदूर लगाए गए हैं। यह 24 घंटे का काम है। वर्षों से खुले आसमान के नीचे रखे होने के कारण इनकी चमक फीकी पड़ गई थी, इसलिए परिसर में लाने से पहले इन्हें चमकाने का काम किया गया। पत्थरों का आयात नियम के अनुसार ही किया जा रहा है।
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सितंबर 1990 से प्रारंभ हुई थी मंदिर निर्माण कार्यशाला

राम मंदिर निर्माण को लेकर मंदिर आंदोलन के साथ पत्थर तराशी का कार्य भी 1990 में ही दो कारीगरों के द्वारा प्रारम्भ किया गया था। इस दौरान एक लाख 75 हजार घनफुट पत्थरों को राजस्थान के बंसीपहाड़पुर से अयोध्या लाने का कार्य शुरू हुआ। 1992 की घटना के बाद कुछ दिनों तक काम रोकना पड़ा। उसके बाद फिर तेज गति से तराशी का कार्य शुरू हुआ और 1995 में बड़ी संख्या में कारीगरों को लगाया गया। लेकिन 10 सितंबर 2010 में आये हाई कोर्ट के फैसले के बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा जिसके साथ काम की भी धीमी गति हो गई। इस बीच 2013 में सपा सरकार के शासनकाल के दौरान पत्थरों के आने पर रोक लगाई गई। 2014 में केंद्र में मोदी की सरकार बनते ही पुनः कार्य को प्रारम्भ किया गया। इस दौरान लगभग 15 कारीगर 2018 तक कार्य करते रहे। इस बीच मुख्य कारीगर की तबीयत खराब होने के कारण कार्य बंद हो गया। जिसके बाद 2019 में लगातार सुनवाई के कारण कार्य को रोक दिया गया। इस दौरान मंदिर निर्माण के लिए 60 प्रतिशत कार्य किया जा चुका है।
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सरयू में चलेगी क्रूज

राम मंदिर के शिलान्यास के बाद उसके भाग्य खुलने लगे हैं। राम मंदिर के निर्माण के साथ ही रामनगरी पर्यटन के विशाल रूप में विकसित किए जाएगा। योगी सरकार की मंशा अनुरूप अयोध्या को पर्यटन के विभिन्न आकषर्णों से जोड़ने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। जल्द ही सरयू नदी में क्रूज बोट चलाई जाएगी। पर्यटक बोट के जरिये शाम की सरयू आरती देख सकेंगे। इससे पहले बुधवार को पर्यटन मंत्री नीलकंठ तिवारी ने कंसल्टेंट कंपनी मेसर्स नोर्डिक क्रूज लाइन्स की ओर से सरयू नदी पर रामायण क्रूज टूर योजना का प्रस्तुतिकरण देखा। इस दौरान उन्होंने कहा था कि सरयू नदी नया घाट से गुप्तार घाट तक रामायण क्रूज का संचालन होगा। इसके साथ ही अयोध्या में सेल्फी प्वाइंट भी बनवाया जाएगा।
क्रूज बोट पर रामचरित मानस का प्रदर्शन

सरयू नदी में चलने वाली क्रूज बोट में रामचरित मानस और रामकथा यात्रा का प्रदर्शन किया जाएगा। वहीं बोट का इंटीरियर भी रामचरित मानस पर आधारित होगा। क्रूज बोट पर ‘श्री रामचरित्रमानस एवं रामकथा यात्रा’ को फिल्म एनीमेशन के माध्यम से दर्शाया जाएगा। आने वाले पर्यटकों को प्रशिक्षित गाइड अयोध्या व इससे जुड़े किस्से, आरती वगैरह के बारे में जानकारी देंगे। इसके लिए पर्यटन प्रबंध संस्थान 100 स्थानीय गाइडों को एक नवंबर से प्रशिक्षित करेगा।
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