बंद हुआ Honda का 23 साल पुराना प्लांट, अब यहां बनेंगी कारें, जानिए क्या है वजह

ग्रेटर नोएडा के इस प्रोडक्शन यूनिट में होंडा सिटी, सिविक जैसी कारें बनाई जाती थीं। अब इस प्लांट में यह कारें नहीं बनेंगी।
Honda cars के ग्रेटर नोएडा स्थित इस प्लांट में सालाना 1 लाख कारें बनकर बाहर निकलती थीं।
कयास लगाए जा रहे हैं कि खर्चे कम करने के लिए कंपनी ने यह प्लांट बंद करने का फैसला लिया है।

 

जपान की ऑटो कंपनी होंडा कार्स इंडिया लिमिटेड ने ग्रेटर नोएडा में अपना 23 साल पुराना प्रोडक्शन यूनिट बंद कर दिया है। हालांकि होंडा कार्स ने यह फैसला क्यों लिया, इस बारे में कोई प्रतिक्रिया नहीं दी हैं। वहीं खबरों के अनुसार कंपनी ने यह फैसला प्रतिस्पर्धा और बिजनेस के चुनौतीपूर्ण माहौल के कारण लिया है। ग्रेटर नोएडा के इस प्रोडक्शन यूनिट में होंडा सिटी, सिविक जैसी कारें बनाई जाती थीं। अब इस प्लांट में यह कारें नहीं बनेंगी।
बनती थीं 1 लाख कारें
बता दें कि होंडा कार्स के ग्रेटर नोएडा स्थित इस प्लांट में सालाना 1 लाख कारें बनकर बाहर निकलती थीं। हालांकि अब प्लांट बंद होने से इसमें अब होंडा की कारें नहीं बनेंगी। बता दें कि भारत में होंडा की कारों की डिमांड है, लेकिन पिछले कुछ समय में कम्पटीशन बढ़ने के कारण इन कारों की डिमांड में थोडी कमी आई है।
दिसंबर की शुरुआत से ही प्रोडक्शन बंद
बता दें कि होंडा कार्स के ग्रेटर नोएडा प्रोडक्शन प्लांट की स्थापना 1997 में की गई थी। रिपोर्ट के मुताबिक, ग्रेटर नोएडा में होंडा का यह प्लांट 150 एकड़ की जमीन में फैला है। बताया जा रहा है कि इस प्लांट में दिसंबर की शुरुआत से ही प्रोडक्शन बंद है। कयास लगाए जा रहे हैं कि खर्चे कम करने के लिए कंपनी ने यह प्लांट बंद करने का फैसला लिया है। ग्रेटर नोएडा के इस प्लांट में साल 1997 में प्रोडक्शन शुरू हुआ था, तब सालाना 30,000 कारें बनती थीं।
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अब यहां बनेंगी होंडा की कारें
रिपोर्ट के अनुसार, अब होंडा अपनी कारों का निर्माण कंपनी के राजस्थान के अलवर स्थित तपुकारा प्लांट में होगा। वहीं कंपनी ने ग्रेटर नोएडा के प्लांट को बंद करने को लेकर किसी भी प्रकार की सार्वजनिक रिपोर्ट जारी नहीं की है। बताया जा रहा है कि ग्रेटर नोएडा में विनिर्माण से जुड़े कर्मचारियों को तपुकारा प्लांट में शिफ्ट कर दिया गया है।
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तापुकरा प्लांट में बनती हैं इतनी कारें
ग्रेटर नोएडा प्लांट को लेकर खबरें आ रही हैं कि यहां कर्मचारियों की संख्या घटकर 1000 रह गई थी। इनमें से अधिकांश ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (वीआरएस) का विकल्प चुना है। वहीं राजस्थान के तापुकरा प्लांट में सालाना 180,000 यूनिट्स होंडा की कारें बनकर बाहर निकलती हैं। हालांकि कंपनी का कॉर्पाेरेट कार्यालय और आरएंडडी विभाग ग्रेट नोएडा से काम करना जारी रखेगा।
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