गौरतलब है कि बीते दिनों पाक सरकार ने एक हिंदू कृष्ण मंदिर बनाने का ऐलान किया था। इसके लिए दस करोड़ रुपये का बजट भी तय किया गया था। मगर मौलानाओं की धमकी के बाद सरकार को पीछे हटना पड़ा। मुस्लिम कट्टरपंथियों ने न सिर्फ मंदिर की दीवार तोड़ी बल्कि वहां आकर जबरदस्ती नमाज भी अदा करनी शुरू कर दी। पाकिस्तानी हिंदुओं का आरोप है कि बंटवारे के दौरान पाक में करीब 428 मंदिर थे, जिनमें से 408 पर कब्जा कर वहां दुकान या ऑफिस चल रहा है।
पाकिस्तान बनने के बाद से ही वहां रह गए अन्य धर्मों के लोगों पर अत्याचार शुरू हो गए थे। उस दौरान पाकिस्तान में बने 428 मंदिर मौजूद थे। हालांकि 1990 आते-आते इन सभी मंदिरों को धीरे-धीरे अपने कब्जे में लिया गया है। यहां पर दुकानें, रेस्टोरेंट, होटल्स, दफ्तर, सरकारी स्कूल या फिर मदरसे खोल दिए गए। इस सर्वे में आरोप लगाया गया है कि पाकिस्तान सरकार ने एक ट्रस्ट बोर्ड को अल्पसंख्यकों की पूजा वाले स्थलों की 1.35 लाख एकड़ जमीन लीज पर दे दी थी। बाद में इस ट्रस्ट ने ही मंदिरों कि ज़मीन हड़प ली।
400 मंदिरों को दोबारा खोलने का फैसला गौरतलब है कि भारत में बाबरी मस्जिद गिराए जाने के बाद से पाकिस्तान में मंदिरों को तोड़कर इसका बदला लिया गया। यहां पर करीब 100 से ज्यादा मंदिरों को नुकसान पहुंचाया गया था। बीते अप्रैल माह में इमरान सरकार ने 400 मंदिरों को दोबारा खोलने का फैसला लिया था। जिन मंदिरों की हालत खराब थी उनकी सरकारी पैसे से मरम्मत के लिए फंड भी दिए जाने की घोषणा हुई। साल 2019 में पाकिस्तान के सियालकोट में 1 हजार साल से भी ज्यादा पुराना शिवाला तेजा मंदिर दोबारा से खोल दिया गया। ये मंदिर आजादी के बाद से ही बंद पड़ा था और 1992 में इस मंदिर को भारी छति पहुंचाई गई थी।
केवल 20 मंदिर शेष पाकिस्तान में स्थित कई मंदिरों की कहानी ऐसी है जिन्हें अब होटल, दुकान या किसी मदरसे में बदल दिया गया है। सर्वे के अनुसार काली बाड़ी नाम के एक प्रसिद्द मंदिर को दारा इस्माइल खान ने खरीदकर ताज महल होटल बनाकर रख दिया है। इसके आलावा खैबर पख्तूनख्वाह के बन्नू जिले में एक हिंदू मंदिर था जहां अब मिठाई की दुकान है। पाकिस्तान सरकार के एक ताजा सर्वे के अनुसार साल 2019 में सिंध में 11, पंजाब में 4, बलूचिस्तान में 3 और खैबर पख्तूनख्वाह में 2 मंदिर चालू स्थिति में हैं।