स्थानीय पुरातत्वविद श्रीकृष्ण धीमाल का कहना है कि इन मूर्तियों को शुक्रवार को एक निर्माण के दौरान बरामद किया गया था। स्थानीय लोगों ने इसे अपने घर ले जाने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन अन्य गांववालों को इन मूर्तियों के बारे में जानकारी मिल गई। इसके बाद पुरातत्व विभाग ने वहां पर पहुंचकर इसे अपने कब्जे में ले लिया।
धीमल ने कहा कि उन्होंने अन्य पुरातत्वविदों को इस बारे में जानकारी दी। पुरातत्वविदों ने बताया कि ये मूर्तियां प्रथम या द्वितीय ईसापूर्व की हैं। उनका कहना है कि ये मूर्तियां किसी देवी की हैं। माना जा रहा है कि यह मूर्ति किराट देवी की है। धीमल के अनुसार अगर यह सही है तो ये मूर्तियां करीब 3800 साल पुरानी हैं।
वहीं एक अन्य पुरातत्वविद उधव आचार्य का कहना है कि ये मूर्तियां आदिम काल की रही हैं। इसे देखकर लग रहा है कि ये दूसरी या तीसरे ईसापूर्व की हो सकतीं हैं। यह नेपाल की अब तक की सबसे पुरानी मूर्तियों में से एक है। पुरातत्वविदों ने इस इलाके में म्यूजियम बनाए जाने की मांग भी की है। माना जा रहा है कि इस इलाके में ज्यादा खुदाई करने पर इस तरह के कई पुराने अवशेष प्राप्त हो सकते हैं।