कंधार से काबुल पहुंचा बरादर, इस बार अपनी सुरक्षा के लिए लाया खुद की फौज

काबुल में हक्कानी गुट के साथ हुई हिंसक झड़प में बरादर के घायल होने की रिपोर्ट सामने आई थी। इसके लगभग एक महीने बाद तालिबान की दोहा शांति प्रक्रिया का प्रमुख यानी बरादर कंधार से अफगानिस्तान की राजधानी काबुल लौट आया है। हक्कानी के लड़ाकों के हाथों अपनी मौत की अफवाहों को दूर करने के लिए तालिबानी नेता बरादर ने बीते 13 सितंबर को एक ऑडियो बयान जारी करने के लिए मजबूर हुआ था।
 

नई दिल्ली।
तालिबान सरकार में उप प्रधानमंत्री मुल्ला अब्दुल गनी बरादर काबुल लौट आया है। कंधार से लौटने के तुरंत बाद उसने पदभार भी ग्रहण कर लिया है। वहीं, इस बार बरादर ने आतंकी सिराजुद्दीन हक्कानी के नेतृत्व वाले आंतरिक मंत्रालय से सुरक्षा लेने से इनकार कर दिया है। पिछले दिनों खबर आई थी कि हक्कानी नेटवर्क के साथ हिंसक झड़प में बरादर घायल हो गया था और वह कंधार भाग गया था।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, काबुल में हक्कानी गुट के साथ हुई हिंसक झड़प में बरादर के घायल होने की रिपोर्ट सामने आई थी। इसके लगभग एक महीने बाद तालिबान की दोहा शांति प्रक्रिया का प्रमुख यानी बरादर कंधार से अफगानिस्तान की राजधानी काबुल लौट आया है। हक्कानी के लड़ाकों के हाथों अपनी मौत की अफवाहों को दूर करने के लिए तालिबानी नेता बरादर ने बीते 13 सितंबर को एक ऑडियो बयान जारी करने के लिए मजबूर हुआ था। कहा जा रहा है कि कंधार से बरादर अपनी सुरक्षा स्वयं लेकर आया है और आंतरिक मंत्रालय से आधिकारिक सुरक्षा लेने से इनकार कर दिया है।
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माना जा रहा है कि तालिबानी नेता बरादार अब काबुल पैलेस में रह रहा है, जबकि उसके समर्थक और मुल्ला उमर का बेटा रक्षा मंत्री मुल्ला याकूब अभी भी कंधार में है। सिराजुद्दीन हक्कानी अभी भी काबुल में रहता है। तालिबान के सह-संस्थापक, मुल्ला बरादर के आने से सरकार के भीतर तनाव बढ़ेगा क्योंकि याकूब गुट आईएसआई समर्थित हक्कानी गुट का मजबूत प्रतिद्वंद्वी है। यही स्थिति तालिबान के अफगान विरोध के साथ भी है, जिसमें प्रत्येक नेता अपना वर्चस्व चाहता है और किसी के साथ काम करने को तैयार नहीं है।
बता दें कि सितंबर महीने के मध्य में अफगान नेशनल टीवी के साथ एक साक्षात्कार में मुल्ला बरादर ने इन खबरों को अफवाह बताकर इसका खंडन किया था कि वह पिछले हफ्ते काबुल में राष्ट्रपति भवन में एक विवाद में घायल हो गया था या मारा गया था। मीडिया में आई इन खबरों को लेकर पूछे जाने पर बरादर ने कहा था, नहीं, यह बिल्कुल भी सच नहीं है। अल्लाह का शुक्र है कि मैं फिट और स्वस्थ हूं। और मीडिया के दावे में कोई सच्चाई नहीं है कि हमारे बीचे आतंरिक असहमति है या फिर आंतरिक रार है।
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दरअसल, तालिबान और हक्कानी के बीच वर्चस्व को लेकर काबुल पर कब्जे के बाद से लड़ाई जारी है। तालिबान की राजनीतिक ईकाई की ओर से सरकार में हक्कानी नेटवर्क को प्रमुखता दिए जाने का विरोध किया जा रहा है। वहीं हक्कानी नेटवर्क खुद को तालिबान की सबसे फाइटर यूनिट मानता है। बरादर के धड़े का मानना है कि उनकी कूटनीति के कारण तालिबान को अफगानिस्तान में सत्ता मिली है, जबकि हक्कानी नेटवर्क के लोगों को लगता है कि अफगानिस्तान में जीत लड़ाई के दम पर मिली है।
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