kyrgyzstan: भारी विरोध-प्रदर्शन के बाद राष्ट्रपति सूरोनबे जीनबेकोव ने दिया इस्तीफा

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Kyrgyzstan President Sooronbay Jeenbekov Resign: राष्ट्रपति सूरोनबे जीनबेकोव ने कहा कि सुरक्षा बलों और प्रदर्शनकारियों के बीच लगातार कई दिनों से हो रहे हिंसक झड़पों को रोकना चाहते हैं।
बीते 4 अक्टूबर को हुए संसदीय चुनाव का परिणाम आने के बाद विपक्षी दलों ने वोटों की धांधली करने का आरोप लगाते हुए चुनाव परिणाम को मानने से इनकार कर दिया और लगातार विरोध-प्रदर्शन ( Kyrgyzstan Protests ) कर रहे हैं।

<p>kyrgyzstan: President Sooronbay Jeenbekov Resigns Amid Protests</p>

बिश्केक। किर्गिस्तान में सियासी घमासान के बीच राष्ट्रपति सूरोनबे जीनबेकोव ( President Sooronbay Jeenbekov Resigns ) ने गुरुवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। बीते 4 अक्टूबर को हुए विवादित चुनाव को लेकर देशभर में विरोध-प्रदर्शन किया जा रहा था और प्रदर्शनकारी राष्ट्रपति सूरोनबे से इस्तीफे की मांग कर रहे थे।

इस्तीफा देने को लेकर उन्होंने कहा कि वह सुरक्षा बलों और प्रदर्शनकारियों के बीच लगातार कई दिनों से हो रहे हिंसक झड़पों ( Kyrgyzstan Protests ) को रोकना चाहते हैं। बता दें कि सूरोनबे मध्य एशियाई देशों में से ऐसे तीसरे राष्ट्रपति हैं, जिन्हें 2005 के बाद से विरोध-प्रदर्शनों के कारण इस्तीफा देना पड़ा है।

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जीनबेकोव ने एक बयान में कहा, ‘विपक्षी प्रदर्शनकारियों ने मेरे आवास तक मार्च निकालने की धमकी दी है। मुझे चिंता है कि अगर वे ऐसा करते हैं तो हिंसा हो सकती है। मैं अपने ही नागरिकों का रक्त बहता नहीं देख सकता। इसलिए मैं सभी पक्षों से उकसावे में नहीं आने की अपील करता हूं।’

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विपक्षी दलों का चुनाव परिणाम मानने से इनकार

आपको बता दें कि बीते 4 अक्टूबर को किर्गिस्तान में संसदीय चुनाव ( Kyrgyzstan General Election ) हुए थे। कुछ दिन पहले ही चुुनाव परिणाम घोषित किए गए। चुनाव परिणाम घोषित होने के साथ ही विपक्षी दल सड़कों पर उतर आए और चुनाव परिणाम को मानने से इनकार कर दिया।

विपक्ष ने आरोप लगाया कि वोटों में धांधली की गई। विपक्ष के विरोध का आधार ये रहा कि मतदान के बाद जो परिणाम सामने आए उसमें 16 में से सिर्फ 4 पार्टियां ही संसद में जगह बना सकीं। इनमें से तीन राष्ट्रपति जीनबेकोव की करीबी हैं। इसी को आधार बनाकर विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि राष्ट्रपति के करीबी गुटों ने वोट खरीदने और वोटरों को डराने का काम किया है।

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इसके बाद विपक्ष की 12 पार्टियों ने साथ आकर ऐलान किया कि वे चुनाव के नतीजों को नहीं मानते हैं और देश के केंद्रीय निर्वाचन आयोग से चुनाव के नतीजों को रद्द करने की मांग भी की।

संसद भवन में घुसे प्रदर्शनकारी

बीते सप्ताह के प्रदर्शनकारी संसद पर धावा बोलते हुए अंदर घुस गए। इसके अलावा कई सरकारी भवनों पर कब्जा कर लिया। साथ ही साथ संसद के अंदर घुसे करीब 2 हजार प्रदर्शनकारियों ने अपने नेता और पूर्व राष्ट्रपति अलमाजबेक अतमबयेव को भी रिहा करा लिया।

पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को नियंत्रण में करने के लिए पानी के कैनन, स्टन ग्रनेड और आंसू गैस का इस्तेमाल किया है। सोशल मीडिया पर कई वीडियो सामने आए हैं, जिसमें लोग संसद और अन्य सरकारी इमारतों में घूमते नजर आए।

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विपक्षी पार्टियों के कई सदस्यों ने मौजूदा राष्ट्रपति सूरोनबे जीनबेकोव को अपदस्थ करने और नई सरकार बनाने की घोषणा की। भारी विरोध को देखते हुए चुनाव आयोग की अध्यक्ष नूरजहां शैलदाबेकोवा ने कहा कि देश में ‘तनाव बढ़ने से रोकने के लिए’ चुनाव नतीजों को रद्द करने का फैसला किया गया है। बता दें कि अतमबयेव और सूरनबे आपस में काफी नजदीकी हुआ करते थे लेकिन 2017 में सूरनबे के चुनाव जीतने के बाद दोनों के बीच दरार आ गई।

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