खानम को हृदय से संबिधित बीमारी थी। 1 जनवरी को अचनाक तबीतय खराब होने के बाद उन्हें एलआरएच में भर्ती कराया गया था और तब से वे वेंटिलेटर पर थीं।
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लोक कलाकार सूर्या खानम का अंत्येष्टि प्रार्थना गुरुवार (आज) को पेशावर में होगी। खानम के निधन पर कलाकारों, लेखकों और प्रशंसकों ने गहरा दुख व्यक्त किया और शोक संतप्त परिजनों के प्रति सहानुभूति व्यक्त की।
कई पुरस्कारों से सम्मानित हो चुकी हैं माहजबीन कजलबाश
आपको बता दें कि प्रख्यात लोक गायिका माहजबीन कजलबाश को कई पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है, इसमें राष्ट्रपति के प्राइड ऑफ़ परफॉर्मेंस भी शामिल हैं। 80 के दशक में खानम काफी लोकप्रिय रहीं थीं।
उस दौर में जब उनके पति अमानुल्लाह ओरकज़ई उर्फ विमल खान की मृत्यु हो गई तब भी वह अपने प्रोफेशन में काफी सक्रिय रहीं। इसके अलावा सांस्कृतिक कार्यक्रमों से कभी भी दूर नहीं गईं। पति के निधन के बाद खानम ने अपने जीवन का अधिकांश समय अपने बच्चों के परवरिश और शिक्षा के लिए समर्पित कर दिया।
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जिस तरह से भारत में महान गायिका लता मंगेशकर को ‘स्वर कोकिला’ के नाम से जाना जाता है, उसे तरह से माहजबीन कजलबाश को उनकी सुरीली आवाज के लिए उन्हें ‘बुलबुल-ए-सरहद’ की उपाधि प्राप्त की थी।
माहजबीन पश्तो के अलावा उर्दू, पंजाबी, सेरिकी, हिंदको, फ़ारसी और तुर्की भाषा में गाना गाया। माजहबीन ने अपनी मखमली आवाज़ और प्रतिभा के कारण प्रशंसकों के दिलों में राज किया। उन्होंने पश्तो नाटकों में भी काम किया, लेकिन उनका ध्यान हमेशा गायिका पर रहा और गायन के लिए पूरी दुनिया में प्रख्यात हो गईं।
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