दरअसल, चीन ने ब्रह्मपुत्र नदी पर बांध बनाने के काम में तेजी लाने का फैसला किया है। चीन के इस फैसले के बाद एक बार फिर से भारत के साथ दोस्ती करने के दावे की पोल खुल गई है। सोमवार को मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि तिब्बत कम्युनिस्ट पार्टी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने शी चिनफिंग सरकार से ब्रह्मपुत्र नदी पर विवादास्पद जल विद्युत परियोजना का निर्माण जल्द शुरू करने की मांग की है।
चीन के संसदीय प्रतिनिधिमंडल से तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र के चेयरमैन शी डल्हा ने परियोजना के लिए पर्यावरणीय प्रभाव का जल्द से जल्द आकलन पूरा करने का अनुरोध किया है। इसके अलावा उन्होंने कहा है कि तिब्बत को इसी वर्ष निर्माण शुरू करने का प्रयास करना चाहिए।
आपको बता दें कि तिब्बत में ब्रह्पुत्र नदी को सांग्पो के नाम से जाना जाता है। चीन ब्रह्मपुत्र नदी पर विशालकाय जलविद्युत परियोजना के लिए पहचानी जाने वाली ब्रह्मपुत्र नदी पर चीन द्वारा जलविद्युत परियोजना के विशालकाय बांध का निर्माण कर रहा है। इस निर्माण से भारत के लिए कई चुनौतियां बढ़ गई है। बांध के निर्माण के बाद नदी के बहाव में रूकावट आएगी, जिसके कारण भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में सूखे की स्थिति उत्पन्न हो सकती है, तो वहीं बारिश के मौसम में बाढ़ की आशंकी बनी रहेगी।
60 गीगावाट बिजली उत्पादन का लक्ष्य
आपको बता दें कि चीन ने पिछले सप्ताह अपनी नई पंचवर्षीय योजना में इस जलविद्युत परियोजना (सांग्पो डाउनस्ट्रीम हाइड्रोपावर बेस) को शामिल किया है। इस परियोजना के जरिए चीन 60 गीगावाट बिजली का उत्पादन कर सकेगा। ऐसे होने पर यह थ्री गोर्ज डैम (22.5 गीगावाट) को पछाड़कर दुनिया का सबसे बड़ा हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट बन जाएगा।
जनवरी में प्रकाशित तिब्बत की प्रस्तावित पंचवर्षीय योजना के अनुसार, इस परियोजना से जुड़े रिसर्च को बढ़ावा देने के साथ ही और जल्द से जल्द निर्माण कार्य शुरू करना इसका मूल उद्देश्य है। मालूम हो कि तिब्बत स्थित पवित्र मानसरोवर झील से सांग्पो नदी निकलती है। जब यह नदी पश्चिमी कैलाश पर्वत के ढाल से नीचे उतरती है तो ब्रह्मपुत्र कहलाती है। बांग्लादेश में पद्मा और फिर मेघना के नाम से इस नदी को जाना जाता है। इसकी लंबाई 2906 किलोमीटर है, जो कि एशिया की सबसे लंबी नदी है।