कोरोना की चिंता छोड़ China ने पेश किया भारीभरकम रक्षा बजट, America को दी चुनौती

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कोरोना महासंकट के बाद भी China इस वर्ष 179 अरब डॉलर रक्षा पर खर्च करेगा, पिछले साल से 6.6% बढ़ाने पर सहमति।
China की वार्षिक संसदीय बैठक नेशनल पीप्लस कांग्रेसग में कई अहम फैसले लिए गए, Economy की वृद्धि का लक्ष्य तय नहीं।

<p>चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग।</p>
बीजिंग। कोरोना वायरस (Coronavirus) से सहमी दुनिया में चीन को रक्षा बजट की ज्यादा चिंता है। इस बार उसने आर्थिक वृद्धि दर (GDP) का कोई लक्ष्य तय नहीं किया है बल्कि रक्षा बजट को बढ़ाने की मंजूरी दी है। शुक्रवार सुबह चीन की वार्षिक संसदीय बैठक नेशनल पीप्लस कांग्रेस (China National People’s Congress 2020) में कई अहम फैसले लिए गए।
इसमें रक्षा बजट (Defense Budget) को महामारी के बावजूद 6.6% बढ़ाने पर सहमति मिली है। इस बैठक में अगले साल के लिए अर्थव्यवस्था की वृद्धि का लक्ष्य या प्रस्तावित GDP पर फैसला लिया जाता है। अमरीका के बाद चीन सबसे ज्‍यादा पैसा रक्षा बजट पर हर साल खर्च करता आया है। कोरोना महासंकट के बाद भी चीन इस वर्ष 179 अरब डॉलर रक्षा पर खर्च करेगा।
इस साल चीन ने घोषणा की है कि महामारी के मद्देनज़र आर्थिक वृद्धि दर का कोई लक्ष्य तय नहीं होगा। चीन के पीएम ली केचियांग के अनुसार ऐसा इसलिए है क्योंकि उनका देश कुछ जरूरी वस्तुओं से जूझ रहा है। ऐसे में अनिश्चितता भरे समय में प्रगति का अनुमान लगाना मुश्किल है। ये संकट कोविड—19 के कारण है। इससे दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाएं प्रभावित हुई हैं और कारोबार पर भी बुरा असर पड़ा है।
सेना को बेहतर बनाने पर होगा जोर

चीन का कहना है कि रक्षा बजट में बढ़ोतरी का ज्‍यादातर पैसा सैनिकों की स्थिति को बेहतर करने के लिए किया गया है। व‍िदेशी रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि चीन का वास्‍तविक रक्षा बजट बहुत अधिक है। उन्‍होंने कहा कि बजट में कई अहम चीजों को शामिल नहीं किया जाता है। बीते साल चीन ने 7.5 फीसदी की बढ़ोत्‍तरी की थी। बीते साल चीन का रक्षा बजट 178 अरब डॉलर था।
एक अनुमान के अनुसार बीते साल चीन का वास्‍तविक रक्षा बजट 220 अरब डॉलर का था। उन्‍होंने बताया कि चीन इस साल अपने रक्षा बजट का इस्तेमाल अपनी नौसेना के प्रसार में लगाएगी। चीन बेहरत एयरक्राफ्ट और घातक हथियार खरीदने में अपना बजट खर्च करेगा। इससे दक्षिण चीन सागर में वह अपनी पकड़ को बेहतर कर सकेगा। इसके साथ पश्चिम प्रशांत महासागर तथा हिंद महासागर में अपनी पहुंच बढ़ाई जा सकेगी।
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