Children at risk : जोखिम में बच्चों की जान- स्कूल पहुंचने पेड़ के सहारे कर रहे नदी पार

Children at risk : मध्यप्रदेश में एक गांव ऐसा भी है, जहां स्कूल पहुंचने के लिए बच्चों को ऐसी नदी पार करना होता है, जिस पर पुलिया ही नहीं है।

<p>Children at risk</p>
अशोकनगर/रायपुर. मध्यप्रदेश में सोमवार से छोटे बच्चों के स्कूल खुल गए हैं। कोरोनाकाल में वैसे ही बच्चों को स्कूल जाना खतरे से कम नहीं है, ऐसे में एक गांव ऐसा भी है, जहां स्कूल पहुंचने के लिए बच्चों को ऐसी नदी पार करना होता है, जिस पर पुलिया ही नहीं है। ऐसे में मजबूरी में छोटे छोटे बच्चे पेड़ की टहनी से होकर गुजरते हैं। जिससे बच्चों की जान हमेशा जोखिम में रहती है।
दरअसल, अशोकनगर जिले के राजपुर क्षेत्र मेें ऐसा गांव है। जहां के लोग आज भी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरसते हैं। यहां चुनाव के दौरान तो बड़े बड़े वादे किए जाते हैं, लेकिन बाद में कोई यहां देखता भी नहीं है, यही कारण है कि इस गांव के लोग और बच्चे बारिश में जान जोखिम में डालकर नदी पार करते हैं। यह गांव बामोरा ग्राम पंचायत में है। इस पंचायत से छह गांव जुड़े हैं, इस कारण ग्राम पंचायत बमोरा से रामपहाड़ी आवाजाही करने वाले ग्रामीणों को नदी पार करना जान जोखिम में डालने से कम नहीं होता है। क्योंकि यहां नदी पर पुल नहीं होने के कारण ग्रामीण पेड़ की एक टहनी के ऊपर चलकर नदी पार करते हैं, ऐसे में टहनी पर जरा सा पैर फिसलने से गिरने का भय बना रहता है, जिससे बड़ा हादसा भी हो सकता है। लेकिन इस और जिम्मेदारों का ध्यान नहीं है।

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बच्चे समय पर नहीं पहुंच पाते स्कूल


लंबे समय से यहां सड़क और पुल पुलियाएं नहीं होने के कारण ग्रामीणों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है, जिसमें सबसे अधिक समस्या बच्चों को होती है, क्योंकि उन्हें स्कूल समय से पहुंचना होता है, लेकिन जर्जर मार्ग और पुलिया के अभाव में पेड़ की टहनी पर चलकर जाने से बच्चों को हर दम गिरने का भय बना रहता है।
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ग्रामीणों ने तैयार किया जुगाड़


यहां पुलिया नहीं होने के कारण पहले तो इस गांव का सम्पर्क सभी गांवों से टूट जाता था, लेकिन जब शासन प्रशासन ने कोई ध्यान नहीं दिया, तो ग्रामीणों ने ही जुगाड़ कर एक पेड़ की टहनी को नदी के ऊपर बिछा दिया, अब ग्रामीण इस पर एक एक कदम रखकर चलते हैं। ऐसे में जरा सी चूक होने पर गिरने का भय बना रहता है।
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गांव की विभिन्न समस्या को कई बार सांसद, विधायक व अन्य जनप्रतिनिधियों के समक्ष रखा है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं होने से ग्रामीणों ने मजबूरी में यह उपाय किया है।

-राजभान सिंह यादव, सरपंच ग्राम पंचायत बमोरा
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