Corona दिल्ली और बिहार के साइबर ठग गैंग पकड़े, इस तरह हड़प जाते थे बैंक में जमा पैसे

संगरूर पुलिस ने छह घोटालेबाज किए गिरफ्तार, 8.85 लाख रुपये और 90 सिम कार्ड बरामद
कोरोना के नाम पर एचडीएफसी बैंक और केवाईसी पुनः प्रमाणित करने के नाम पर करते थे ठगी

<p>दिल्ली और बिहार के साइबर ठग गैंग पकड़े</p>
चंडीगढ़। पंजाब पुलिस ने अंतर्राज्यीय साइबर घोटाला करने वालों के दो गिरोहों का पर्दाफाश किया है। छह व्यक्तियों को गिरफ्तार किया है। ये बैंक अधिकारी बनकर बड़ी संख्या में बैंक ग्राहकों से पैसे ठगने का काम करते थे। पुलिस ने उनके पास से 8.85 लाख रुपए नकद, 11 मोबाइल फोन, 9 हैंडसैट और 100 सिम कार्ड भी बरामद किये हैं। पंजाब के डीजीपी दिनकर गुप्ता ने बताया कि इनमें से चार सदस्यों वाला एक गिरोह दिल्ली से काम कर रहा था। दो व्यक्तियों वाला दूसरा गिरोह बिहार के क्षेत्र जामतारा से काम कर रहा था। ऑनलाइन घोटालों के लिए मशहूर गिरोह लुधियाना में सक्रिय था। इनकी गिरफ्तारी से अब तक चार केस हल किये गए हैं। डीजीपी ने लोगों को ऑनलाइन लेन-देन करते समय बहुत सचेत रहने और अपने बैंक खाते के विवरण साझा न करके ऐसे घोटालों का शिकार होने से बचने की सलाह दी है।
दिल्ली से पकड़ा गैंग, 90 सिम कार्ड मिले
यह सारी कार्यवाही डीएसपी (डी) मोहित अग्रवाल के नेतृत्व में एसएसपी संगरूर सन्दीप गर्ग की निगरानी वाले साइबर सेल और सीआईए की एक विशेष साझी टीम ने की। डीजीपी ने बताया कि पश्चिमी दिल्ली के चाणक्य प्लेस का निवासी मुहम्मद फरीद दिल्ली गिरोह का सरगना था जो कि पंखा रोड क्षेत्र में प्लैटिनम वेकेशंस प्राइवेट लिमिटेड नाम का कॉल सेंटर चला रहा था। उसकी कार्यवाहियों को एक निगरानी अधीन रखा गया। छापामारी के दौरान 1,20,000 रुपए नकद, 7 मोबाइल फोन, 9 हैंडसैट टेलीफोन (बीटल ब्रांड) और 90 सिम कार्ड बरामद हुए। फरीद के अलावा उसके साथी संजय कश्यप उर्फ दादा, मुकेश और उपेंदर कुमार सिंह, सभी पश्चिमी दिल्ली के निवासियों को गिरफ्तार किया गया है। दोषियों के विरुद्ध थाना सिटी 1 संगरूर में आईपीसी की धारा 420, 66 डी आई टी ऐक्ट के अंतर्गत मामला दर्ज किया गया है।
एचडीएफसी बैंक के नाम पर धोखा
प्राथमिक पड़ताल से पता चला है कि मुलजिम अपने आप को बैंक अधिकारी बताकर एचडीएफसी बैंक खाता धारकों को निशाना बना रहे थे। वह इस बहाने अपने पीडि़तों के पास से निजी बैंक से सम्बन्धित जानकारी लेते थे कि उनका डेबिट / क्रेडिट कार्ड चल रहे कोविड संकट के कारण खत्म हो रहा है। उनके मोबाइल फोनों पर भेजे गए अपने कार्ड के विवरण और उपयुक्त ओटीपी प्राप्त करने के बाद, यह व्यक्ति बिना डर के पीडि़तों के खातों में से पैसे उनके फर्जी पे-टीएम खातों में ट्रांसफर करते थे। जांच टीम ने कुछ व्यक्तियों को गिरफ्तार भी किया था, जिनको इन फर्जी पे-टीएम खातों को चलाने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा था।
केवाईसी प्रमाणित करने के नाम पर धोखा
श्री गुप्ता ने बताया कि जामतारा गैंग के दो सदस्यों, नूर अली और पवन कुमार, क्रमवार मंडी गोबिन्दगढ़ और बस्ती जोधेवाल को लुधियाना नामजद किया गया है। यह जोड़ी अपने केवाईसी विवरणों को पुन: प्रमाणित करने के बहाने लोगों को बैंक अधिकारी बनकर ठगती थी। अपने पीडि़त के बैंकिंग विवरण और ओटीपी की माँग करने के बाद, वह उनको एक ‘‘क्यू एस टीम व्यूअर ऐप’’ डाउनलोड करने और थोड़े समय के लिए अपने मोबाइल फोनों को बंद करने के लिए कहते। इस दौरान, वह अपने पीडि़त लोगों के खातों में से पैसे निकाल कर सुगल दमानी यूटिलिटि सर्विसिस के खाते में डाल देते थे जिसको बाद में वह नूर अली के मोबीक्विक वॉलेट में भेज देते थे। बाद में यह पैसा पवन कुमार के मोबीक्विक वॉलेट में तबदील कर दिया जाता था। पवन, जो बाली टेलीकॉम के नाम अधीन मोबाइल फोन रिचार्ज करने का कारोबार चलाता था, इस धोखे से की गई कमाई से अपने कई ग्राहकों के बिजली के बिलों का भुगतान अपने ई-वॉलेट के द्वारा करता था और बिल में छूट का लालच देकर वह इन ग्राहकों से बदले में नकद पैसा लेता था। पुलिस ने उसके पास से 7,65,000 नकद, 2 मोबाइल फोन और सिम कार्ड बरामद किये हैं। इस जोड़ी के विरुद्ध आईपीसी की धारा 420, 120-बी, 66-डी आई टी एक्ट 2008 के अंतर्गत थाना सदर धुरी में मामला दर्ज किया गया है।
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