बिडेन के आने के बाद अमरीका ने फिर खोले भारतीयों के लिए दरवाजे, US में बसने की राह होगी आसान

रीकॉन्सिलेशन बिल के मुताबिक, पंद्रह सौ डॉलर की सप्लीमेंट्री फीस देकर, डायरेक्टोरेट की प्रक्रिया और मेडिकल एग्जाम पास करके अमरीका में बसने का सपना देखने वाले प्रवासी ग्रीन कार्ड पर अपनी दावेदारी मजबूत कर सकते हैं।
 

नई दिल्ली।
अमरीका की हाउस ज्यूडिशियरी कमेटी ने हाल ही में कुछ प्रस्ताव जारी किए हैं। इसमें प्रस्तावित इमिग्रेशन नियमों से एक रीकॉन्सिलेशन बिल भी शामिल है। इसके तहत, कानूनी दस्तावेजों के साथ जो लोग अमरीका में ग्रीन कार्ड होल्डर बनने का सपना देख रहे हैं, उनकी यह ख्वाहिश जल्द पूरी होगी।
रीकॉन्सिलेशन बिल के मुताबिक, पंद्रह सौ डॉलर की सप्लीमेंट्री फीस देकर, डायरेक्टोरेट की प्रक्रिया और मेडिकल एग्जाम पास करके अमरीका में बसने का सपना देखने वाले प्रवासी ग्रीन कार्ड पर अपनी दावेदारी मजबूत कर सकते हैं। इसके लिए अभ्यर्थी को दो शर्त पूरी करनी होगी।
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पहली, ऐसे प्रवासियों को 18 वर्ष की उम्र से पहले अमरीका आना होगा और यहां लगातार रहना होगा। दूसरी, 1 जनवरी 2021 से उसे लगातार शारीरिक तौर पर अमरीका में मौजूद रहना होगा। साथ ही, अभ्यर्थी को अपनी दावेदारी मजबूत करने के लिए चार और शर्त पूरी करनी होगी। जो निम्नलिखत हैं-
1- अभ्यर्थी ने अमरीकी सशस्त्र बल में सेवा की हो।
2- अमरीका की किसी यूनिवर्सिटी या इंस्टीट्यूट से डिग्री प्रोग्राम या पोस्ट सेकेंडरी क्रेडेंशियल प्रोग्राम में कम से कम दो साल ही पढ़ाई पूरी कर चुका हो या फिर कर रहा हो।
3- स्थिति समायोजन के लिए आवेदन करने से पहले तीन साल की अवधि के भीतर उसके पास अमरीका में अर्जित इनकम का एक डिटेल रिकॉर्ड होना चाहिए।
4- इंटर्नशिप, अप्रेंटिसशिप या इस तरह के प्रशिक्षण कार्यक्रम में शामिल लोग भी स्थिति समायोजन के लिए आवेदन कर सकते हैं।
अमरीका में पले-बढ़े युवा प्रवासियों के समूह एडवोकेसी एसोसिएशन इंप्रूव द ड्रीम के अध्यक्ष दीप पटेल के अनुसार, यह किसी भी बिल पर सपने देखने वाले के लिए सबसे जरूरी बिंदु हैं। यह सभी युवाओं को इमिग्रेंट्स का आवेदन की इजाजत देता है। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि हाउस ज्यूडिशियरी कमेटी को उचित रूप से संशोधन या स्पष्ट करना चाहिए कि लगातार शारीरिक तौर पर मौजूदगी परीक्षण के लिए विशिष्ट यात्रा की अनुमति दी जाए। ऐसा नहीं हुआ तो कई व्यक्ति इसके लिए अयोग्य घोषित हो जाएंगे।
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इमिग्रेंट्स पर रिसर्च कर रहे डेविड बीयर की ओर से किए गए शुरुआती अध्ययन के मुताबिक, अप्रैल 2020 तक भारतीय परिवारों के 1.36 मिलियन बच्चे ईबी-2 और ईबी-3 रोजगार आधारित ग्रीन कार्ड श्रेण्ी के बैकलॉग में फंस गए थे। यह 84 साल का वेटिंग टाइम है। इसमें 62 प्रतिशत बच्चे ग्रीन कार्ड हासिल किए बिना ही बड़े हो जाते हैं।
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