खास बात यह है कि करीब 30 वर्षों बाद नासा दो अंतरिक्ष यान शुक्र ग्रह की ओर भेजने जा रही है। हालांकि इसको लेकर अभी समय तय नहीं किया गया है, लेकिन इतना जरूर है कि अगले 10 वर्षों के अंदर इन दोनों यानों को शुक्र ग्रह पर भेज दिया जाएगा।
इतने खर्च का अनुमान
नासा का अनुमान है कि मिशन शुक्र के लिए उसे इन दोनों यानों को अंतरिक्ष भेजने में करीब 50 करोड डॉलर का खर्च आ सकता है। यह भी पढ़ेँः ‘फेयरवेल करा दो, नेहा को साड़ी में देखना था’, CBSE Board Exam रद्द होने पर छात्र का पीएम मोदी से रिक्वेस्ट ट्वीट हुआ वायरल, नेहा से मिला ये जवाब!
नासा का अनुमान है कि मिशन शुक्र के लिए उसे इन दोनों यानों को अंतरिक्ष भेजने में करीब 50 करोड डॉलर का खर्च आ सकता है। यह भी पढ़ेँः ‘फेयरवेल करा दो, नेहा को साड़ी में देखना था’, CBSE Board Exam रद्द होने पर छात्र का पीएम मोदी से रिक्वेस्ट ट्वीट हुआ वायरल, नेहा से मिला ये जवाब!
ये है इन मिशन का नाम
नासा की ओर से शुक्र पर भेजे जाने वाले उसके दोनों मिशनों का नाम भी रख दिया गया है। नासा के मुख्य प्रशासक बिल नेल्सन ने बताया कि इन दोनों ही मिशनों का नाम DAVINCI+ और VERITAS नाम दिया गया है।
नासा की ओर से शुक्र पर भेजे जाने वाले उसके दोनों मिशनों का नाम भी रख दिया गया है। नासा के मुख्य प्रशासक बिल नेल्सन ने बताया कि इन दोनों ही मिशनों का नाम DAVINCI+ और VERITAS नाम दिया गया है।
ये है इन मिशन का मकसद
नासा ने एक बयान जारी करके कहा, इन मिशनों का मकसद शुक्र ग्रह को समझना है, जिससे यह पता चल सके कि पृथ्वी जैसी कई विशेषता होने के बाद भी यह ग्रह नरक जैसा क्यूं बन गया।
नासा के मुताबिक शुक्र ग्रह सौर व्यवस्था में पहला ऐसा ग्रह हो सकता है जहां लोग रह सकते थे और वहां पृथ्वी की तरह समुद्र और जलवायु था।
नासा ने एक बयान जारी करके कहा, इन मिशनों का मकसद शुक्र ग्रह को समझना है, जिससे यह पता चल सके कि पृथ्वी जैसी कई विशेषता होने के बाद भी यह ग्रह नरक जैसा क्यूं बन गया।
नासा के मुताबिक शुक्र ग्रह सौर व्यवस्था में पहला ऐसा ग्रह हो सकता है जहां लोग रह सकते थे और वहां पृथ्वी की तरह समुद्र और जलवायु था।
शुक्र के गर्म होने से उठेगा पर्दा
नासा का मानना है कि इन मिशनों खास तौर पर DAVINCI+ की मदद से इस बात से पर्दा उठेगा कि आखिर शुक्र ग्रह इतना गर्म क्यों हो गया, जिसकी वजह से वहां जीवन संभव नहीं है।
दाविंसी प्लस अंतरिक्ष यान शुक्र ग्रह के वातावरण का आकलन करेगा और यह जानने की कोशिश करेगा कि कैसे इसका निर्माण हुआ।
नासा का मानना है कि इन मिशनों खास तौर पर DAVINCI+ की मदद से इस बात से पर्दा उठेगा कि आखिर शुक्र ग्रह इतना गर्म क्यों हो गया, जिसकी वजह से वहां जीवन संभव नहीं है।
दाविंसी प्लस अंतरिक्ष यान शुक्र ग्रह के वातावरण का आकलन करेगा और यह जानने की कोशिश करेगा कि कैसे इसका निर्माण हुआ।
इन चीजों की खोज पर रहेगा फोकस
इसके साथ ही यह भी पता लगाएगा कि क्या इस ग्रह पर धरती की तरह से कभी समुद्र था या नहीं। यह यान शुक्र ग्रह के वातावरण में हीलियम, निऑन और क्रिप्टॉन जैसी अहम गैसों का पता लगाने का प्रयास करेगा।
इसके साथ ही यह भी पता लगाएगा कि क्या इस ग्रह पर धरती की तरह से कभी समुद्र था या नहीं। यह यान शुक्र ग्रह के वातावरण में हीलियम, निऑन और क्रिप्टॉन जैसी अहम गैसों का पता लगाने का प्रयास करेगा।
बता दें कि इससे पहले वर्ष 2020 में वैज्ञानिकों ने दावा किया था कि शुक्र ग्रह पर फोस्फिन गैस की खोज की गई है। हालांकि बाद में यह दावा सही नहीं निकला। नासा ने इससे पहले वर्ष 1978 में पाइअनिर प्रॉजेक्ट और मगेलान प्राजेक्ट शुरू किया था। मगेलान यान अगस्त 1990 में शुक्र ग्रह पहुंचा था और वर्ष 1994 तक काम करता रहा।
यह भी पढ़ेंः रिपोर्टः सुरक्षित नहीं आपकी Maggi, खुद Nestle ने माना 60 फीसदी प्रोडक्ट अनहेल्दी VERITAS यान करेगा ये काम
नासा का VERITAS यान शुक्र ग्रह के सतह की मैपिंग करेगा। इसके भूगर्भीय इतिहास का पता लगाने का प्रयास करेगा ताकि इस बात का पता लगाया जा सके कि यह ग्रह पृथ्वी से इतना अलग क्यों विकसित हुआ।
नासा का VERITAS यान शुक्र ग्रह के सतह की मैपिंग करेगा। इसके भूगर्भीय इतिहास का पता लगाने का प्रयास करेगा ताकि इस बात का पता लगाया जा सके कि यह ग्रह पृथ्वी से इतना अलग क्यों विकसित हुआ।
3डी नक्शे से मिलेगी ये मदद
ये यान शुक्र ग्रह का 3 डी नक्शा भी तैयार करेगा। इससे यह पता चल सकेगा कि क्या शुक्र ग्रह पर ज्वालामुखी की गतिविधियां अभी भी हो रही हैं या नहीं।
ये यान शुक्र ग्रह का 3 डी नक्शा भी तैयार करेगा। इससे यह पता चल सकेगा कि क्या शुक्र ग्रह पर ज्वालामुखी की गतिविधियां अभी भी हो रही हैं या नहीं।