अब ऐसा ही एक मामला अमरीका ( America ) से भी सामने आया है। दरअसल, बीते कई दिनों से अमरीका के न्यूयॉर्क में एक छोटे से शहर ‘स्वास्तिक’ ( Swastik ) के नाम को लेकर विवाद चल रहा है। कुछ लोगों ने इसपर आपत्ति जताते हुए इसे बदलने की मांग उठाई, वहीं कुछ लोगों ने इसे नहीं बदलने की वकालत की।
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ऐसे में लोगों के बीच बढ़ते टकराव के मद्देनजर शहर का नाम ‘स्वस्तिक’ रहे या नहीं, इसे लेकर वोटिंग कराई गई। वोटिंग के दौरान नाम के विरोध में एक भी वोट नहीं पड़ा। लिहाजा अब उस छोटे से शहर का नाम स्वास्तिक ही रहेगा।
बता दें कि कुछ लोगों ने स्वास्तिक नाम को नाजियों के प्रतीक चिन्ह से जोड़ते हुए आपत्ति जताई थी और बदलने की मांग की थी, लेकिन स्थानीय निवासियों ने कहा कि इस नाम से नाजियों के प्रतिक चिन्ह से कोई लेना-देना नहीं है।
क्या है ये पूरा मामला
आपको बता दें कि ये मामला तब सामने आया जब एक पर्यटक ने इस नाम को लेकर शिकायत दर्ज कराई। न्यूयॉर्क का रहने वाला एक पर्यटक माइकल अलकेमो स्वास्तिक कस्बे से होकर गुजरो तो उसका ध्यान इस कस्बे के नाम पर गया।
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अलकेमो ने बताया कि जब उन्हें ये पता चला कि इस कस्बे का नाम स्वास्तिक है तो उन्हें बड़ा धक्का लगा। उन्हें इस बात का दुख हुआ कि इसी कस्बे से थोड़ी दूर पर द्वितीय विश्वयुद्ध के योद्धा दफन हैं। ऐसे में ये सोचकर मैं हैरान रह गया कि आखिर 1945 के बाद भी यहां पर रहने वाले लोगों ने ‘स्वास्तिक’ नाम को बदलकर कोई दूसरा नाम क्यों नहीं रखा। यही सोचकर उन्होंने इस नाम को बदलने की शिकायत दर्ज कराई।
विरोध में नहीं पड़ा एक भी वोट
अलकेमो की शिकायत के बाद जब मामले ने तूल पकड़ा तो इसको लेकर वोटिंग कराने का निर्णय किया गया। 14 सितंबर को शहर के ब्लैक ब्रुक टाउन काउंसिल ने सर्वसम्मति से ‘स्वस्तिक’ नाम नहीं बदलने के लिए मतदान किया।
ब्लैक ब्रुक के पर्यवेक्षक जॉन डगलस ने कहा, ‘1800 के दशक में शहर के मूल निवासियों ने इसका नाम स्वस्तिक रखा था। यह नाम संस्कृत के शब्द ‘स्वस्तिक’ से लिया गया है, जिसका अर्थ होता है-कल्याण। हमें बाहर के उन लोगों पर तरस आता है, जो हमारे समुदाय के इतिहास के बारे में कुछ नहीं जानते और यह नाम देखकर भड़क जाते हैं और इसका विरोध करते हैं। हमारे समुदाय के लोगों के लिए यह वह नाम है, जिसे हमारे पूर्वजों ने चुना था।’
आपको बता दें कि जर्मनी के तानाशाह शासक एडोल्फ हिटलर और उसकी नाजी पार्टी ने 1930 के दशक में ‘स्वास्तिक’ को प्रतीक चिह्न के रूप में अपनाया था। स्वास्तिक चिन्ह् को हिंदू, बौद्ध, जैन आदि कई धर्मो में पवित्र प्रतीक माना जाता है। यही कारण है कि लोग अपने-अपने घरों व मंदिरों या पूजा-प्रार्थना स्थलों में इस प्रतीक चिन्ह् को लगाते हैं।