अमरीका

America: जल्दबाजी में कंपनी को मिला था लाइसेंस, गलत वैक्सीन लगाए जाने से 40 हजार बच्चे हुए थे बीमार

HIGHLIGHTS

अमरीका में 1955 में गलत पोलियो वैक्सीन ( Polio Vaccine ) लगाने का मामला सामने आया था।
वैज्ञानिक बर्निस ई एड्डी की चेतावनी के बावजूद तकरीबन 1.2 लाख बच्चों को ये खराब वैक्सीन लगा भी दी गई। इनमें से लगभग 40 हजार बच्चे पोलियो के शिकार हो गए।

नई दिल्लीSep 01, 2020 / 11:01 pm

Anil Kumar

America: 40 thousand children were sickened and fatally paralyzed due to tainted polio vaccine

वाशिंगटन। कोरोना महामारी से पूरी दुनिया जूझ रही है और इससे बचाव के लिए तमाम देशों में वैक्सीन बनाने पर काम किया जा रहा है। अभी तक विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से मान्यता प्राप्त कोई भी वैक्सीन नहीं बन पाया है। लेकिन रूस, चीन की ओर से अपने-अपने देश में कोरोना वैक्सीन बन जाने की घोषणा कर दी है। इतना ही नहीं, इसका इस्तेमाल भी शुरू किया गया है। हालांकि WHO और अन्य देशों ने वैक्सीन की प्रमाणिकता को लेकर कई सवाल खड़े किए हैं।

रूस और चीन पर आरोप है कि राजनीतिक दबाव और दुनिया में पहला वैक्सीन बनाने का श्रेय लेने के लिए जल्दबाजी में कोरोना वैक्सीन को लॉंच कर दिया गया है। अब कई एक्सपर्ट ने ये चेतावनी दी है कि इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं और नुकसानदायक साबित हो सकता है।

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चूंकि इससे पहले अमरीका में एक बार जल्दबाजी के कारण वैक्सीन के गंभीर व खतरनाक परिणाम देखने को मिल चुका है। वैक्सीन लगाने से 40 हजार बच्चे बीमार हो गए थे।

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पोलियो वैक्सीन से बच्चे हुए थे बीमार

वॉशिंटगन पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, अमरीका में 1955 में गलत पोलियो वैक्सीन लगाने का मामला सामने आया था। रिपोर्ट में बताया गया है कि अमरीकी वैज्ञनिकों को वैक्सीन के परीक्षण के दौरान ये बात पता चल गई थी कि वैक्सीन में वायरस जिंदा है, लेकिन जल्दबाजी के चक्कर में उन अधिकारियों तक ये बात नहीं पहुंचाई जा सकी जिन कंपनियों को वैक्सीन बनाने का लाइसेंस दे रहे थे। इसके बाद जब वैक्सीन बनकर बाजार में आया और बच्चों को इसका टीका लगाया गया, तो पोलियो के रहस्मय मामले सामने आए। इससे सरकार भी हैरान रह गई और सभी वैक्सीन को फौरन वापस मंगाने का फैसला किया। जब तक यह प्रक्रिया पूरी होती तब तक काफी देर हो चुकी थी।

रिपोर्ट के मुताबिक, 1954 में वैज्ञानिक बर्निस ई एड्डी ने जांच के लिए पोलियो वैक्सीन के छह सैंपल बंदरों को लगाए। इससे तीन बंदर पैरालाइज हो गए। इससे एड्डी समझ गए कि वैक्सीन में खामिया हैं। उन्होंने तत्काल इसकी जानकारी नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के लेबोरेटरी ऑफ बायोलॉजिक्स कंट्रोल के प्रमुख को दी। लेकिन इसकी जानकारी कंपनियों को लाइसेंस देने वाले अधिकारी तक ये बात नहीं पहुंची।

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चूंकि पोलियो वैक्सीन को जल्द से जल्द बाजार में लाने की कवायद की जा रही थी। ऐसे में इसके उत्पादन के लिए कंपनियों को हड़बड़ी में लाइसेंस दे दिया गया। इसके बाद वैक्सीन उत्पादन करने वाली एक कंपनी कटर लेबोरेटरीज की वैक्सीन में समस्या आ गई, क्योंकि उसके वैक्सीन में मृत वायरस की जगह जिंदा वायरस मौजूद था।

रिपोर्ट के मुताबिक, वैज्ञानिक बर्निस ई एड्डी की चेतावनी के बावजूद तकरीबन 1.2 लाख बच्चों को ये खराब वैक्सीन लगा भी दी गई। इनमें से लगभग 40 हजार बच्चे पोलियो के शिकार हो गए। इसमें 51 बच्चे पैरालाइज्ड हो गए और कम से कम 5 बच्चों की मौत हो गई थी। बता दें कि पोलियो वैक्सीन जोनस साल्क नाम के वैज्ञानिक ने तैयार की थी।

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