हाथियों ने इन 10 परिवार का ऐसा किया हाल कि पेड़ के नीचे कर रहे गुजारा, सबने थमाया आश्वासन का पिटारा

हाथियों ने घर तोड़ा तो 10 किलो चावल की बांट दी खैरात अब मड़ई और पेड़ के नीचे जैसे-तैसे रहने की विवशता

<p>Families live in hut</p>
अंबिकापुर. हाथियों ने बारिश के मौसम में घर तोड़ डाले। ऐसे में अब पीडि़त परिवारों को सहारे की उम्मीद तो प्रशासन से ही होगी, लेकिन मैनपाट के पहाड़ पर बसे डांड़केसरा का 10 परिवार आज प्रशासिनक उपेक्षा का ही दंश झेल रहे हंै। उन्हें इतनी तकलीफ उस समय नहीं हुई होगी, जब हाथियों ने घर तोड़ा होगा।
राहत के नाम पर सिर्फ 10 किलो चावल की मदद ऐसी मिली जैसे खैरात बांट दी गई हो, इन परिवारों की हालत ऐसी है कि क्या दिन और कैसी रात, पेड़ व मड़ई के ही नीचे गुजर रही है। 12 दिन पहले अफसर, जनप्रतिनिधि आए और आश्वासन का पिटारा थमाकर चले गए, लेकिन अब तो कोई पूछने-सुनने वाला नहीं है। आजीविका से संघर्ष अब खुद ही जारी है।
गौरतलब है कि १२ दिन पहले हाथियों ने मैनपाट के पहाड़ पर बसे लखनपुर ब्लॉक के ग्राम डांड़केसरा में उत्पात मचाते हुए 10 घर को तहस-नहस कर दिया था। हाथी डांड़केसरा निवासी सुरजु यादव, श्रीराम यादव, मनोज यादव, सुमन यादव, धनुकधारी, बैलासी, गणेश, लक्ष्मण, दालजीत व जीतलाल का घर तोड़कर अंदर रखा अनाज भी चट कर गए थे।
एक भी घर की स्थिति ऐसी नहीं छोड़ी थी कि उसकी थोड़ी-बहुत मरम्मत कर रहने लायक बनाया जा सके। हाथियों के उत्पात से 10 परिवार को बेघर होने की तकलीफ तो झेलनी पड़ी, लेकिन उन्होंने ये नहीं सोचा था कि आजीविका भी चलाना मुश्किल हो जाएगा। ठीक अगले दिन वन विभाग के अधिकारी व कर्मचारी नुकसान का जायजा लेने पहुंचे और नुकसान का प्रकरण बनाकर परिवार को मुआवजा देने की बात कह गए।
इस दौरान वन विभाग की तरफ से प्रत्येक परिवार को मात्र 10-10 किलो चावल देकर खानापूर्ति कर दी गई। इसके बाद की राशन की व्यवस्था कैसे होगी इसकी सुध किसी ने नहीं ली।


विधायक ने डीएफओ पर लगाए थे आरोप
डांड़केसरा गांव में लुंड्रा विधायक चिंतामणी महाराज भी पीडि़तों से मिलने गए थे। इस दौरान उन्होंने प्रभावितों से चर्चा के बाद डीएफओ से जब फोन पर पीडि़तों के लिए दरी व तिरपाल की व्यवस्था करने की बात कही थी तो विधायक के अनुसार डीएफओ ने कहा था कि आप लोग कुछ समझते नहीं हैं और हाथी द्वारा घर तोडऩे के बाद फिल्ड में पहुंचकर व्यवस्था करने को कहते हैं। वहीं डीएफओ ने कहा था कि विधायक द्वारा बेवजह इस मामले को राजनीतिक रंग दिया जा रहा है।

पेड़ व मड़ई के नीचे कट रहे दिन
गज पीडि़त परिवारों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। बेघर हुए परिवार के सदस्यों का हर दिन तकलीफ के बीच गुजर रहा है। परिवार के पुरूष सदस्य तो खुले आसमान में पेड़ के नीचे रह रहे हैं।
वहीं महिलाएं व बच्चे मड़ई के नीचे रहने को मजबूर हैं। कुछ परिवार की महिलाएं रात में रिश्तेदारों के घर शरण ले लेती हैं। सबसे अधिक परेशानी बारिश होने पर होती है। बारिश के दिनों में बच्चों के साथ रतजगा करना पड़ता है।
उधार मांगने की आ गई नौबत
वन विभाग की तरफ से पीडि़त परिवारों को महज 10-10 किलो चावल की मदद दी गई थी, ये चावल तो एक-दो दिन में ही खत्म हो गया। अब परिवार के समक्ष हर दिन के भोजन की समस्या खड़ी हो गई है। घर व अंदर रखा सारा अनाज तो पहले ही बर्बाद हो गया, जो रुपए थे वह भी धीरे-धीरे खत्म होते जा रहे हैं। अब तो पीडि़त परिवार के समक्ष दूसरों से उधार तक लेने की नौबत आ गई है। वहीं प्रशासन द्वारा इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
डीएफओ ने कहा था नासमझ
मैंने हाथी प्रभावितों से मिलने के बाद उनके लिए दरी व तिरपाल की व्यवस्था कराई थी। मैंने 10-10 किलो चावल पीडि़तों को दिलवाया था। जब मैंने व्यवस्था हेतु डीएफओ से बात की थी, तो उन्होंने नासमझ कहा था।
चिंतामणी महाराज, लुण्ड्रा विधायक
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