अम्बेडकर नगर

गरीबी की ऐसी मार…कि पत्नी की जान बचाने के लिए युवक ने नवजात बच्ची सौंप दी किसी दूसरे को

जिला अस्पताल में महिला को भर्ती तो कर लिया गया, लेकिन उसकी ठीक से न तो देखरेख की गई और न ही उसे खून ही मिल सका…

अम्बेडकर नगरJun 03, 2020 / 01:44 pm

नितिन श्रीवास्तव

गरीबी की ऐसी मार…कि पत्नी की जान बचाने के लिए युवक ने नवजात बच्ची सौंप दी किसी दूसरे को

अंबेडकर नगर. वैसे तो सरकार का दावा है कि प्रदेश में मात्र एक रुपये के पर्चे पर गरीब अमीर सभी का इलाज फ्री में होता है, लेकिन जिले के स्वास्थ महकमे की ऐसी लापरवाही सामने आई है कि एक मजदूर को अपनी नवजात बच्ची को दूसरे को सौंप देना पड़ा है। मामला जिले के टांडा कस्बे का है, जहां बहराइच जिले का निवासी शब्लू अलीगंज थाना क्षेत्र के धुरियहिया सब्जी की दुकान लगाकर अपनी पत्नी और दो मासूम बेटियों के साथ किसी तरह गुजर बसर कर रहा था। बीते 19 मई को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र टांडा में शब्लू कई पत्नी तीसरी बेटी को जन्म दिया। तीन चार दिन तो जच्चा और बच्चा दोनो ठीक रहे, लेकिन अचानक माँ की तबियत खराब होने लगी तो उसे पुनः सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया। शरीर मे खून की कमी के कारण प्रसूता को डॉक्टरों ने जिला अस्पताल रिफर कर दिया। आखिर जिला अस्पताल में बने ब्लड बैंक और तमाम सामाजिक संगठनों व ब्लड का दान करने वालों का ब्लड किसके लिए है।
जिला अस्पताल में महिला को भर्ती तो कर लिया गया, लेकिन उसकी ठीक से न तो देखरेख की गई और न ही उसे खून ही मिल सका, जिसकी वजह से महिला के शरीर मे सूजन आ गई और अंत मे जिला अस्पताल के डॉक्टरों ने महिला को रेफर करते हुए जबरन बीती रात अस्पताल से डांट कर भगा दिया।

इलाज के लिए पिता ने दूसरे को सौंपा नवजात बेटी

सब्जी का ठेला लगाने वाले शब्लू की हालत पहले से ही लॉक डाउन के कारण खराब थी। जो कुछ उसके पास पैसा था, वह डिलेवरी के समय ही खर्च हो गया था। पत्नी की जान बचाने के लिए शब्लू को कोई रास्ता नजर नही आया तो लोग बताते हैं कि एक दंपति ने उसकी बेटी को गोद लेने की इच्छा जाहिर की और बदले में 6 हजार रुपये की मदद की। हालांकि शब्लू बेटी को दूसरे दंपति को सौंपे जाने को तो स्वीकार कर रहा है, लेकिन पैसा मिलने की बात से इनकार कर रहा है।
अस्पताल से भगाये जाने के बाद प्रसूता की और बिगड़ी हालत

बेरहम जिला अस्पताल प्रशासन को इस गरीब पर कोई दया नही आई और अस्पताल से जब भगा दिया तो शब्लू अपनी पत्नी को लेकर घर आया, जहां उसकी हालत और खराब होती गई। पहले से ही दो मासूम बेटियों और पत्नी का बोझ उठा रहा शब्लू बदहवास हालत में कभी अपनी पत्नी तो कभी दोनो मासूम बेटियों को देखकर सिर्फ रोये जा रहा है। उसे अपनी नवजात बेटी को दूसरे दंपति को सौंपे जाने का भी बड़ा गम है, जिसे उसके आंसू खुद बखुद बयान कर रहे हैं। दिल को दहला देने वाला यह मंजर देखकर तो ऐसा लगता है कि करोड़ो रूपये का सालाना बजट गरीबों के स्वास्थ के नाम पर सरकार भले ही खर्च करने का दावा कर रही हो, लेकिन हकीकत में यह रकम स्वास्थ विभाग की जेब मे ही जा रहा है और गरीब के हिस्से ऐसे ही ठोकरें खाना नसीब बन चुका है।

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