विधायक करण दलाल के निलंबन के बाद बडी लडाई की तैयारी में हरियाणा कांग्रेस

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा ने दावा किया कि नेता प्रतिपक्ष के निलम्बन के प्रस्ताव के पक्ष में मतदान के लिए निर्दलीय और भाजपा के सदस्य भी तैयार थे…

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(चंडीगढ): हरियाणा विधानसभा के मानसून सत्र के अंतिम दिन मंगलवार को ’कलंकित हरियाणा’ शब्दों के इस्तेमाल पर कांग्रेस विधायक करण दलाल को एक साल के लिए निलंबित करने के मुद्ये पर अब कांग्रेस बडी लडाई लडने की तैयारी में है। कांग्रेस ने साफ कहा है कि विधानसभा में भाजपा का रूख फासीवादी रहा है। इस फासीवाद का मुकाबला आम जनता और कानून की अदालत के जरिए किया जाएगा। कांग्रेस ने यह भी कहा है कि सदन में नेता प्रतिपक्ष के निलंबन के लिए पार्टी की ओर से मतदान का प्रस्ताव पेश किया गया था लेकिन इसे भी मनमाने ढंग से नामंजूर कर दिया गया। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा ने दावा किया कि नेता प्रतिपक्ष के निलम्बन के प्रस्ताव के पक्ष में मतदान के लिए निर्दलीय और भाजपा के सदस्य भी तैयार थे।


नियमों से परे जाकर हुआ निलंबन

करण दलाल के एक वर्ष के लिए विधानसभा से निलंबन के मुद्ये पर बुधवार सुबह यहां पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा और स्वयं विधायक और पूर्व मंत्री करण दलाल ने मीडिया से बात की। हुड्डा ने इस बात पर जोर दिया कि दलाल का विधानसभा से एक वर्ष के लिए निलंबन नियमों के विपरीत किया गया है। सदन के किसी सदस्य का निलंबन एक वर्ष करने का ना तो कोई नियम है और न ही ऐसा कोई पूर्व उदाहरण मौजूद है। यदि इस तरह एक वर्ष का निलम्बन करना है तो पहले नियमों में संशोधन किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह दलील कहीं नहीं ठहरती कि सदन ने प्रस्ताव पारित कर करण दलाल को एक साल के लिए निलंबित किया है। भाजपा सरकार के इस फासीवाद से कानून और जनता की अदालतों में लडा जायेगा।

बगैर स्पष्टीकरण की कार्रवाई

हुड्डा ने कहा कि करण दलाल के मनमाने ढंग से एक वर्ष के निलंबन से हरियाणा विधानसभा के इतिहास में मंगलवार का दिन एक काले अध्याय के रूप में जुड गया है। उन्होंने कहा कि करण दलाल ने बीपीएल वर्ग के राशन कार्ड निलंबित करने के मामले में अपने ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर चर्चा में कलंकित हरियाणा शब्दों के इस्तेमाल पर जो आपत्ति सत्ता पक्ष और इंडियन नेशनल लोकदल के सदस्यों द्वारा दर्ज कराई जा रही थी तो दलाल ने स्पीकर से यह स्पष्ट करने को कहा था कि क्या ये शब्द असंसदीय है? लेकिन स्पीकर ने इस पर कोई व्यवस्था नहीं दी और बगैर स्पष्टीकरण के एक साल के लिए निलंबन कर दिया गया।


निलंबन पर मतदान के लिए राजी थे सदस्य

नेता प्रतिपक्ष ने पहले जूता दिखाया तो इसके लिए उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। कांग्रेस की ओर से नेता प्रतिपक्ष के निलंबन के लिए प्रस्ताव पर मतदान कराने की मांग की गई थी लेकिन इसे नामंजूर कर दिया गया जबकि निर्दलीय और भाजपा सदस्य भी इस प्रस्ताव का समर्थन करने को तैयार थे।

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