नगर परिषद सभापति व उप सभापति के खिलाफ अविश्वास के लिए बाड़ाबंदी तेज, चार और पार्षद उदयपुर रवाना

अलवर नगर परिषद में पार्षदों की बाड़े बंदी की जा रही है। पार्षदों को अब उदयपुर ले जाया गया है।

<p>नगर परिषद सभापति व उप सभापति के खिलाफ अविश्वास के लिए बाड़ाबंदी तेज, चार और पार्षद उदयपुर रवाना</p>
नगर परिषद अलवर के सभापति एवं उप सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को लेकर दोनों खेमों की बाड़ा बंदी तेज हो गई है। कांग्रेस खेमे के चार और पार्षद शनिवार को उदयपुर के लिए रवाना हुए। वहीं भाजपा खेमे के पार्षद पहले से ही गुजरात में डेरा जमाए बैठे हैं।
उधर, जिला कलक्टर को अविश्वास प्रस्ताव सौंपे सात दिन का समय पूरा हो गया है, एेसे में जिला प्रशासन की ओर से रविवार को अविश्वास प्रस्ताव को लेकर चुनाव आयोग से मार्गदर्शन मांगने की संभावना है। नगर परिषद बोर्ड में कुसी की खींचतान अब चरम पर पहुंचने लगी है। सभापति व उप सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लगाने के बाद से दोनों खेमों से जुड़े ज्यादातर पार्षद अलग-अलग स्थानों पर बाड़ा बंदी में हैं। संभवत: कांग्रेस पार्षद उदयपुर एवं भाजपा खेमे के पार्षद गुजरात में हैं। वहीं कांग्रेस खेमे के चार और पार्षद उदयपुर के लिए रवाना किए गए हैं।
रणनीतिकार अलवर में ही रुके

दोनों खेमों के रणनीतिकार पार्षद अलवर में रुककर ही अपनी रणनीति को अंजाम देने में जुटे हैं। दोनों खेमों के रणनीतिकारों की एक-दूसरे के खेमों की रणनीति पर पैनी नजर है। यही कारण है कि कांग्रेस व भाजपा खेमे के कई पार्षद बाड़ा बंदी के बाद भी अलवर में दिखाई पड़ रहे हैं।
दावों में कितना दम

वैसे तो कांग्रेस व भाजपा खेमों के रणनीतिकारों का दावा पर्याप्त संख्या में पार्षद होने का है, लेकिन दोनों ही खेमे आशंका से ग्रसित भी दिखाई पड़ रहे हैं। इसका कारण है कि दोनों ही खेमों को दूसरे खेमे के पार्षदों ने आश्वासन दे रखा है। एेसे में दोनों खेमे संख्या बल में आश्वासन देने वाले उन पार्षदों को गिन तो रहे हैं, लेकिन पक्का विश्वास भी नहीं जता रहे।
अब नजरें जिला प्रशासन पर टिकी

दोनों ही खेमों की नजरें अब जिला प्रशासन की कार्रवाई पर टिक गई है। जिला कलक्टर को अविश्वास प्रस्ताव सौंपे सात दिन का समय बीत चुका है। ऐसे में अब जिला प्रशासन अविश्वास प्रस्ताव पर निर्णय सुनाएगा। संभावना है कि चुनाव आयोग से इस बारे में मार्गदर्शन के लिए जल्द पत्र भेजा जाएगा। उल्लेखनीय है कि रामगढ़ विधानसभा चुनाव के चलते इन दिनों पूरे जिले में आचार संहिता लागू है, ऐसे में अविश्वास प्रस्ताव पर बोर्ड की बैठक चुनाव आयोग के मार्गदर्शन के बाद ही संभव है।
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