डॉ. शेखावत ने बताया कि शुद्ध अन्न-जल का सेवन करना है। शरद ऋ तु में स्वभाव से ही पित्त का प्रकोप रहता है। इस कारण भी ज्वर, रक्तपित, अम्लपित्त- शिरशूल, रक्त एवं त्वक विकार, अरुचि-विबंध- आध्यमान- अजीर्ण इत्यादि मौसमी बीमारियों से आमजन ग्रसित होते है। पित्त प्रकृति वालो को इस ऋ तु में विशेष सावधानी की जरूरत होती हैं। मौसम परिवर्तन के साथ ही तामपान में भी परिवर्तन होता है। जो मौसमी बीमारियों का कारण बनता है। प्राय: आमजन इस ऋ तु परिवर्तन के अनुसार अपने आहार-विहार में परिवर्तन न करते हुए लापरवाही बरतते है । आने वाले मौसम में मधुर- लघु- शीतल- तिक्त रस वाले द्रव्यों का प्रयोग करना चाहिए।
करेला, परमल, तुरई, मेथी, लौकी, पालक, मूली ,टमाटर, गोभी, नारियल हितकर हैं। त्रिफला-मुन्नका प्रयोग उचित रहता है। उष्ण- गुरु- विदाहि- तीक्ष्ण- मशालेदार- तले खाध पदार्थों का प्रयोग न करें। ऐसा करने से निश्चित ही मौसमी बीमारियों से हमारा बचाव रहेगा। साथ ही कोविड से बचाव के लिए मास्क-हैंड सेनेटाइजेसन, सोशल डिस्टेंस की पालना बहुत जरूरी है। इसके साथ निम्न आयुर्वेद उपायों-आयुुर्वेद उपाय जैसे योग अभ्यास, गुनगुने पानी, च्यवनप्राश, हल्दी दूध का सेवन, सेंधा नमक -हरिद्रा से गरारे, तिल या नारियल तेल को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाकर बीमारी से दूर रह सकते हैं। कोविड के संक्रमण से बचा जा सकता है।