मेले में बड़े बुजुर्ग, युवा व बच्चे सहित सभी श्रद्धालुओं ने भक्ति भाव के साथ भगवान को ढोक लगाई। बाबा की मनमोहक झांकी के दर्शन कर श्रद्धालुओं में भक्ति का जोश चरम पर पहुंच गया। वादियों गूंजते भजनों ने पूरे माहौल में भक्ति रस घोल दिया। तेरी जय हो पवनकुमार , वारी जाऊं वाला जी जैसे भक्ति गीतों से हर तरफ भक्तिमय माहौल बना हुआ था।
मेले के दौरान सम्पूर्ण मन्दिर में फूलों की सजावट की गई थी। मन्दिर महंत रणत भंवर ने दोपहर 12 बजे महाआरती की। इसके बाद भोग आरती कार्यक्रम हुआ। इसके बाद शाम को मंदिर में नियमित आरती और भजन संध्या आयोजित की गई।मन्दिर प्रांगण में जात-जडूला, सवामणी आदि धार्मिक अनुष्ठान भी श्रद्वालुओं की ओर से किए गए। इसके अलावा मेले में विभिन्न प्रकार की दुकानें सजी रही। जिन पर मेलार्थियों ने खूब खरीदारी की। वहीं, मेले में बच्चों, महिला और पुरुषों ने खानपान का स्वाद लिया। वहीं, भंडारों का आयोजन भी किया गया, जिसमें लोगों ने प्रसादी पाई।
बदहाल मार्ग ने बढ़ाई परेशानी पांडूपोल क्षेत्र मेें पिछले दो- तीन दिन से बारिश होने से श्रद्धालुओं को मुश्किलों का भी सामना करना पड़ा। सरिस्का के अन्दर मार्ग पर चिकनी मिट्टी एवं गहरे गड्ढ़ो के चलते दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं को काफी परेशानी हुई। उबड़- खाबड़ एवं पथरीली राहो को पार करने में असहाय व बुजूर्गों का मंदिर तक जाना मुश्किल हो गया। इसके लिए यहां अलग से कोई इंतजाम नहीं किया गया। सरिस्का गेट व टहला गेट तक मार्ग में पानी भरा रहने और कीचड़ फिसलन से आवाजाही में परेशानी बनी रही ।