रक्षाबंधन: दुनिया के कई देशों में जाती हैं अलवर की राखियां, इस बार लॉक डाउन से करोड़ों का नुकसान, नहीं मिले ग्राहक

अलवर शहर के राखी उद्योगों में हर साल करोड़ों का व्यापर होता है, लेकिन इस साल कोरोना और लॉक डाउन के चलते बहुत अधिक नुकसान हुआ है

<p>रक्षाबंधन: दुनिया के कई देशों में जाती हैं अलवर की राखियां, इस बार लॉक डाउन से करोड़ों का नुकसान, नहीं मिले ग्राहक</p>
अलवर. अलवर की राखियां देश में ही नहीं विश्व भर में ख्याति नाम रही हैं। इस बार अलवर के राखी उद्योग को कोरोना का झटका लगा है। इसके चलते करोड़ों की राखियां ना तो बाहर जा पा रही हैं और ना ही इनकी स्थानीय स्तर पर बिक्री हुई है।
अलवर जिले में दो दशकों से राखी का कारोबार एक बड़े उद्योग का रूप ले चुका है। रक्षा बंधन के एक माह बाद से राखी बनाने का काम शुरू होता है जो पूरे साल चलता है। राखी बनाने के बड़े काम ने कुटीर उद्योग का रूप ले लिया है। अलवर जिले में 5 हजार से अधिक महिलाएं घर कच्चा माल ले जाती हैं और शाम को बना कर वापस ले आती हैं। इस काम में मिली राशि से उसको घर में खर्चा चलाने में सहायता मिलती है।
अलवर की बनी राखियों के आकर्षक व नए-नए डिजाइन के कारण पसंद की जाती है जिनमें बच्चों की राखियां आकर्षक व महंगी होती हैं। इसी प्रकार यहां की बनी चंदन की खुशबू, चांदी सहित कई तरह की महंगी राखियां खूब पसंद की जाती हैं।
करोड़ों का कारोबार, लाखों में ही थमा-

अलवर जिले से करीब 50 करोड़ की राखियां देश व विदेशों में भाई की कलाई पर बंधती है। इससे पहले इनकी बिक्री अप्रेल माह के बाद से ही शुरू हो जाती है। देश भर से रिटेल व्यापारी यहां डिजाइन पसंद करने आते हैं। कई ऐसे व्यापारी हैं जो वर्षों से लगातार यहां आ रहे हैं। इस साल तो पहले चले लॉक डाउन और कोरोना संक्रमण के चलते बाहर के व्यापारी ही नहीं आए। इसका प्रभाव यह रहा कि राखियों की बिक्री बहुत कम हुई। बहुत से लोगों ने अपने घर में रखी पुरानी राखियों को लिफाफे में पैक करके भेज दिया। बहुत सी बहनों का कहना है कि इस साल वो बाजार राखी खरीदने नहीं जाएंगे। घर में रखे मोली की धागे को ही भाई को बांध देंगे। अधिकतर घरों में बाहर से आने वाली भुहा व बहनों ने आने का कार्यक्रम निरस्त कर दिया है।
अलवर शहर में लाखों की राखी नहीं बिकी-

अलवर शहर में लाखों की राखी बिक ही नहीं पाई है। गुरुवार से लॉक डाउन होने के कारण राखी बिना बिके ही रह गई। ये राखियां अधिकतर होपसर्कस के समीपवर्ती क्षेत्र वाले बाजार में बिकती है जो अब बंद रहेंगे।
इस बारे में राखी निर्माताओं ने अपनी बात इस प्रकार कही।

कोरोना से व्यापार प्रभावित-

इस वर्ष अलवर का राखी उद्योग कोरोना संक्रमण से प्रभावित हुआ है। इससे निर्माण, उत्पादन और बिकने के बाद देश के सभी हिस्सों में ग्राहक तक पहुंचने की चैन की टूट गई है। ऑन लाइन राखियों के डिजाइन देखकर मंगवाई गई है लेकिन कारोबार में अलवर को बहुत अधिक नुकसान हुआ है।
-बच्चू सिंह जैन, राखी निर्माता, अलवर।

बाहर से ग्राहक ही नहीं आए-

अलवर में राखी खरीदने कई राज्यों से व्यापारी आते थे जो इस बार नहीं आए हैं। इसको देखकर लगता है कि अलवर में इस बार राखी का व्यापार पिछले वर्ष से कुल 20 प्रतिशत ही हुआ है। इससे राखी बनाने वाले लोग भी प्रभावित हुए हैं।
-मनोज जैन, राखी निर्माता।
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