कोर्ट ने बंध पत्र में ऐसे कैदियों से इस आशय का वचन पत्र भी लेने का निर्देश दिया है। यह आदेश मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर तथा न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा की खंडपीठ ने स्वतः प्रेरित कायम जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है। कोर्ट के समक्ष उत्पन्न हुई स्थितियों को देखते हुए यह आदेश पारित किया गया है । कोर्ट ने कहा है कोरोना वायरस के चलते देशव्यापी लॉक डाउन की वजह से अदालती कार्यवाही बंद पड़ी है। 26 मार्च 2020 के आदेश से इस कोर्ट द्वारा कई निर्देश दिए गये हैं । उन्हीं निर्देशों के अनुक्रम में यह दो नए आदेश जारी किए गए हैं। अब आर्बिट्रेशन कार्रवाई की अवधि यदि बीच में समाप्त हो रही है तो वह 25 मई 2020 तक जारी रहेगी और साथ ही प्रतिभूति जमा न करने के कारण रिहा न हो पाने वाले कैदियों को भी कोर्ट ने राहत दी है ।
संविधान के अनुच्छेद 226 एवं 227 के अधिकारों का प्रयोग करते हुए कोर्ट ने कहा है कि 15 मार्च 2020 के बाद जमानत पर रिहा हुए लोग यदि प्रतिभूति जमा न करने के कारण जेल से रिहा नहीं हो पाए हैं। arbitration तो उन्हें व्यक्तिगत बंधपत्र और आश्वासन लेकर रिहा किया जाए । रिहा होने के एक माह के भीतर वे प्रतिभूति जमा कर देंगे। कोर्ट ने आदेश की प्रति संबंधित जिला अदालतों एवं अधिकरणों सहित प्रदेश के महाधिवक्ता, भारत सरकार के अपर सालिसीटर जनरल एवं सहायक सॉलिसिटर जनरल एराज्य लोक अभियोजक एवं उत्तर प्रदेश बार काउंसिल के अध्यक्ष को भेजने का आदेश दिया है।