अदालत ने यह आदेश शासन की ओर से दाखिल अर्जी पर एडीजीसी राजेश गुप्ता और विशेष लोक अभियोजक वीरेन्द्र कुमार सिंह के तर्कों को सुनने के बाद दिया। कोर्ट ने आरोपित की ओर से प्रति शपथ पत्र दाखिल करने को शासन की अर्जी निरस्त किये जाने का आधार नहीं माना।
यूपी सरकार की ओर से अतीक अहमद को मिली इन जमानतों को निरस्त करने के लिये 2017 में जमानत अर्जी दी गई थी। उसमें यह आधार बनाया गया था कि 2017 तक अतीक अहमद के खिलाफ 75 आपराधिक मामले दर्ज हुए हैं। अदालत ने कहा कि जमानत निरस्त करने के लिये पर्याप्त आधार हैं।
तत्कालीन इलाहाबाद जिले के धूमनगंज थाने में दर्ज अपहरण के मुकदमे में 29 मई 2009 को सेशन जज द्वारा जमानत अर्जी मंजूर की गई थी, धूमनगंज में ही 2009 में कातिलाना हमला के मामले में सेशन जज द्वारा 20 जुलाई 2001 को जमानत अर्जी स्वीकारी गई गई थी। खुल्दाबाद थाने में साल 2003 में दर्ज नसीम हत्याकांड में सत्र न्यायाधीश इलाहाबाद द्वारा 26 जुलाई 2003 को जमानत याचिका मंजूर की गई थी। कर्नलगंज थाने पर अतीक अहमद पर खुद पर हमला कराने की साजिश रचने के आरोप में साल 2002 में मुकदमा दर्ज हुआ था। इस मुकदमे में सत्र न्यायाधीश द्वारा 25 जुलाई 2003 को जमानत अर्जी स्वीकार की गई थी। जमानत बंद पत्र दाखिल कर दिये जाने पर इन मामलों में रिहा करने का आदेश दिया गया था।
अतीक के शूटर तोता का मकान जमींदोज
उधरय अतीक अहमद के सबसे खास शूटर जुल्फिकार उर्फ तोता का तीन मंजिला आशियाना भी सरकार ने ढहा दिया। तोता का यह मकान धूमनगंज के कसारी मसारी में था, जिसे छह घंटे तक चली कार्रवाई में जमीदोंज कर दिया गया। हालांकि परिजनों ने इसका विरोध किया, लेकिन उनकी एक नहीं चली। प्रयागराज विकास प्राधिकरण का दावा है कि उसने यह कार्रवाई अवैध निर्माण के चलते की है। पीडीए की टीम पुलिस लेकर पहुंची और पहले मकान को खाली करने के लिये कहा, फिर एक घंटे के बाद पांच जेसीबी लगाकर तीन तरफ से मकान को ढहा दिया गया।