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राज्य के कॉलेज में प्रथम, द्वितीय और तृतीय वर्ष सहित स्नातकोत्तर कक्षाओं में दाखिले के लिए उच्च शिक्षा विभाग प्रतिवर्ष प्रवेश नीति जारी करता है। दाखिलों के लिए सामान्य, ओबीसी, एमबीसी, अर्थिक पिछड़ा वर्ग, एससी-एसटी वर्ग, शहीद सैनिक, राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर के खिलाडिय़ों, कश्मीरी विस्थापित एवं सामान्य कश्मीरी विद्यार्थियों और अन्य संवर्ग में आरक्षण प्रावधान लागू है। इसके अनुरूप विद्यार्थियों को प्रवेश मिलते हैं। यह भी पढ़ें
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कश्मीरी विद्यार्थियों को एक प्रतिशत आरक्षणप्रवेश नीति में जम्मू-कश्मीर के विस्थापित और निवासियों के लिए एक प्रतिशत आरक्षण रखा गया है। इसके अनुसार उन्हें कला, वाणिज्य, विज्ञान और अन्य संकाय में प्रवेश मिलते हैं। इस कोटे से कोई सीट नहीं भरने इन सीट पर सामान्य विद्यार्थियों को प्रवेश दिए जाते हैं।
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अब नहीं विशेष राज्य…जम्मू-कश्मीर में धारा 370 लागू रहने के कारण वहां के लोगों को विशेष परिलाभ मिलते रहे हैं। खासतौर पर प्रत्येक राज्य के स्कूल, कॉलेज, यूनिवर्सिटी में कश्मीरी विस्थापित और सामान्य कश्मीरी विद्यार्थियों के लिए कोटा निर्धारित किए गए हैं। बीते साल अगस्त में केंद्र सरकार धारा 370 हटा चुकी है। अब कश्मीर और तिब्बत केंद्र शासित प्रदेश बन चुके हैं। लिहाजा राजस्थान सहित विभिन्न राज्यों में आरक्षण प्रावधान में भी तब्दीली हो सकती है।
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प्रवेश नीति में कश्मीरी विस्थापितों और निवासियों के लिए आरक्षण प्रावधान का जिक्र है। इसमें परिवर्तन करने अथवा यथावत रखने को लेकर उच्च स्तरीय बातचीत होगी। इसके बाद ही स्थिति स्पष्ट होगी।
प्रदीप बोरड़, आयुक्त कॉलेज शिक्षा विभाग
प्रवेश नीति में कश्मीरी विस्थापितों और निवासियों के लिए आरक्षण प्रावधान का जिक्र है। इसमें परिवर्तन करने अथवा यथावत रखने को लेकर उच्च स्तरीय बातचीत होगी। इसके बाद ही स्थिति स्पष्ट होगी।
प्रदीप बोरड़, आयुक्त कॉलेज शिक्षा विभाग
235 करोड़ पड़ा है खजाने में, नेहरू अस्पताल पर नहीं हुए खर्च
अजमेर. जवाहरलाल नेहरू अस्पताल की दशा सुधारने के लिए सरकार ने 153 करोड़ रुपए ही खर्च किए हैं। जबकि खजाने में 235 करोड़ रुपए बकाया पड़े हैं। चिकित्सा मंत्री के गृह जिले में ऐसी अनदेखी सरकार की थोथी घोषणाओं और अदूरदर्शिता दर्शाती है। यह जवाब विधायक वासुदव देवनानी के विधानसभा में पूछे प्रश्न पर दिया गया है।
अजमेर. जवाहरलाल नेहरू अस्पताल की दशा सुधारने के लिए सरकार ने 153 करोड़ रुपए ही खर्च किए हैं। जबकि खजाने में 235 करोड़ रुपए बकाया पड़े हैं। चिकित्सा मंत्री के गृह जिले में ऐसी अनदेखी सरकार की थोथी घोषणाओं और अदूरदर्शिता दर्शाती है। यह जवाब विधायक वासुदव देवनानी के विधानसभा में पूछे प्रश्न पर दिया गया है।