MDSU: घूसकांड के आरोपियों का वॉइस टेस्ट, एसीबी कर रही तैयारी

एसीबी ने 2.20 लाख की घूस राशि के साथ किया था ट्रेप-राजभवन ने किया है रामपाल सिंह को निलंबित।

<p>mdsu VC case</p>
अजमेर.
महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय के घूस प्रकरण में निलंबित कुलपति रामपाल सिंह और उसके दलाल सहित अन्य आरोपियों की मुसीबत बढऩे वाली है। एसीबी आरोपियों का वॉइस टेस्ट कराने की तैयारी में है। ताकि आरोपी सर्विलांस के दौरान हुई डील और बातचीत को किसी भी स्थिति में नकार नहीं सके।
विवि के कुलपति आवास पर 7 सितंबर को एसीबी ने आरोपित रणजीत सिंह को आरोपित महिपाल सिंह से सुरेश की कॉलेज राहुल मिर्धा इंजीयिरिंग कॉलेज झुंझाला को परीक्षा केंद्र बनाने की एवज में 2.20 लाख रुपए लेते पकड़ा था। आरोपित रामपाल सिंह के लिए राशि लेने के आरोप में मामला दर्ज किया गया है। रिश्वत राशि मांग का सत्यापन परिवादी एस.के. बंसल और निलंबित कुलपति रामपाल के मध्य 25 जून 2020 को आमने-सामने विश्वविद्यालय में ही वार्ता से किया गया। इसका उल्लेख प्राथमिकी में है।
अब वॉइस टेस्ट की तैयारी
एसीबी रामपाल सिंह और उसके दलाल रणजीत सिंह, महिपाल सिंह और अन्य आरोपी का वॉइस टेस्ट करा सकती है। इसको लेकर एसीबी डीजी बी. एल. सोनी, एडीजी दिनेश एम.एन के स्तर पर चर्चा हो चुकी है। वॉइस टेस्ट कराने के पीछे ठोस वजह भी है। अव्वल तो रामपाल के सियासी रसूखात से एसीबी वाकिफ है। तिस पर आरोपी मोबाइल पर हुई डील और एसीबी की तथ्यात्मक रिपोर्ट को मानने से इंकार कर सकते हैं। लिहाजा एसीबी किसी स्थिति में यह जोखिम नहीं लेना चाहती है।
नहीं हो पाई बहस
निलंबित कुलपति रामपालसिंह ने विशेष अदालत में वकील अजय वर्मा की ओर से जमानत अर्जी लगाई गई है। बीती 23 अक्टूबर को इस पर बहस नहीं हो पाई थी। अब अर्जी पर 5 नवंबर को सुनवाई रखी गई है। इससे पहले 12 अक्टूबर को भी विशेष अदालत में जमानत अर्जी पर बहस टल गई थी। रामपाल सिंह ने गिरफ्तारी पूर्व अधिनियम की धारा 17 के प्रावधानों की पालना नहीं करने की आपत्ति लगाई थी। इस आधार पर अदालत ने रामपाल की याचिका खारिज हो चुकी है।
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