द्रविड़ व उत्तर की नक्काशी का मिश्रण है चौपड़ा मंदिर

वास्तु सिद्ध, अष्टकोणीय, शिव यंत्र के आकार का प्राचीन कैलाश धाम धौलपुर में चौपड़ा महादेव मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है। भारतीय पुरातत्वविदों ने इस मंदिर को 500 साल पुरानी संरचना माना है, जो धौलपुर स्टेट का सबसे पुराना शिव मंदिर है। जगत गुरु शंकराचार्य स्वामी जयेंद्र सरस्वती ने भी इस मंदिर में श्री शिव का रुद्राभिषेक किए जाने की बात कही जा रही है। मंदिर परिसर में एक कुंड भी स्थित है।

<p>द्रविड़ व उत्तर की नक्काशी का मिश्रण है चौपड़ा मंदिर</p>
धौलपुर. वास्तु सिद्ध, अष्टकोणीय, शिव यंत्र के आकार का प्राचीन कैलाश धाम धौलपुर में चौपड़ा महादेव मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है। भारतीय पुरातत्वविदों ने इस मंदिर को 500 साल पुरानी संरचना माना है, जो धौलपुर स्टेट का सबसे पुराना शिव मंदिर है। जगत गुरु शंकराचार्य स्वामी जयेंद्र सरस्वती ने भी इस मंदिर में श्री शिव का रुद्राभिषेक किए जाने की बात कही जा रही है। मंदिर परिसर में एक कुंड भी स्थित है। इस कुंड के चौकोर आकार के होने के कारण, इस मंदिर का नाम चौपड़ा मंदिर के नाम से जाना जाने लगा।
हालांकि चोपड़ा शिव मंदिर के निर्माण के बारे मे कोई लेख नहीं मिलता है लेकिन पुरातत्व विभाग की जांच के अनुसार मंदिर लगभग 500 वर्ष पुराना है। इस मंदिर की ऊंचाई 150 फुट है। गर्भगृह में जाने के लिए 25 सीढिय़ां चढऩी पड़ती हैं।
अनूठा अष्टकोणीय गर्भ गृह

मंदिर वास्तुकला के नजरिए से अनूठा है, इसका गर्भ गृह अष्टकोणीय है। श्री शिव यंत्र के रूप में भी देखा जाता है। इसकी आठों दीवारों में आठ दरवाजे भी हैं। हर दरवाजे पर आकर्षक मूर्तियां उकेरी गई है, और मन्दिर के प्रवेश द्वार पर ब्रह्मा जी की मूर्ति विराजमान है। मंदिर का उन्नत शिखर भी बेहद आकर्षक और बारीक खूबसूरत नक्काशी से बना है। यह शिव मंदिर ग्वालियर-आगरा मार्ग पर बाईं ओर लगभग सौ कदम की दूरी पर स्थित है। मन्दिर में पूजन-अर्चन की क्रिया आचार्य की देख-रेख में पूरे शास्त्रोक्त विधान से सम्पन होती हैं। शिवरात्रि, सावन माह एवं साप्ताहिक सोमवार को भारी संख्या मे भक्तजन पूजा-अर्चना करने के लिए मंदिर में एकत्र होते हैं
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