77 की उम्र में हिम्मत और संतुिलत आहार से हार गया कोरोना

मोटिवेशनल स्टोरी : पुलिस लाइन निवासी 77 वर्षीय गीतादेवी कोरोना को हराकर पहुंची घर, कोरोना के बाद गले व मुंह में हुए फंगल इंफेक्शन से भी मिला छुटकारा

<p>77 की उम्र में हिम्मत और संतुिलत आहार से हार गया कोरोना</p>
मनीष कुमार सिंह
अजमेर.

उम्र भले कितनी भी हो लेकिन इच्छा शक्ति हो तो हर मुश्किल से पार पाया जा सकता है। सत्तर वर्षीय गीतादेवी भी कोरोना संक्रमित होने के बावजूद हिम्मत नहीं हारीं। उनका कहना है कि डॉक्टर दवाई दे सकता है लेकिन हिम्मत परिवार को देनी है और खाना मरीज को खाना है। अस्पताल में भी उन्होंने सुबह-शाम दवा के साथ खाना-पीना नहीं छोड़ा। परिवार के सदस्यों ने मोबाइल फोन पर हिम्मत बंधाए रखी। आखिर उनकी जीत हुई और कोरोना को शिकस्त मिली।
पुलिस लाइन निवासी व जिला पुलिस में स्पेशल टीम प्रभारी महावीर शर्मा की 77 वर्षीय मां गीता देवी को 15 अप्रेल को बुखार आया। कोविड टेस्ट रिपोर्ट पॉजिटिव आई। घर पर रहकर चिकित्सक से उपचार लिया लेकिन 22 अप्रेल को ऑक्सीजन 65 तक गिर गई। जांच में फेफड़ों में संक्रमण ज्यादा बताया। गीतादेवी को शहर के निजी अस्पताल में भर्ती कराया। अस्पताल के नाम पर थोड़ी घबराहट हुई लेकिन उन्होंने सब भगवान पर छोड़ दिया।
दोनों समय खाना नहीं छोड़ा

गीतादेवी ने मारवाड़ी अंदाज में बताया कि अस्पताल में डॉक्टर के अलावा राम सबका ध्यान रखते हैं। उन्होंने बताया कि अस्पताल में उससे भी ज्यादा गंभीर मरीज थे लेकिन वह घबराई नहीं और भगवान का सुमिरन करती रही। परिवार के लोग मोबाइल फोन पर सम्पर्क में रहे और हिम्मत बढ़ाई। अस्पताल में भी सुबह-शाम खाना खाया। फिर सात दिन बाद सुधार हुआ तो 30 अप्रेल को छुट्टी मिल गई। महावीर शर्मा ने 10 मई को पुन: टेस्ट करवाया। रिपोर्ट नेगेटिव आई लेकिन गले, मुंह में फंगल इन्फेक्शन हो गया। पांच दिन इलाज के बाद फंगल इन्फेक्शन भी खत्म हो गया।
पत्नी भी संक्रमित

निरीक्षक महावीर शर्मा ने बताया कि 14 अप्रेल को उन्होंने मां गीतादेवी का निजी अस्पताल में आंखों का ऑपरेशन कराया था। ऑपरेशन से पूर्व सब ठीक था, लेकिन दूसरे दिन बुखार आया। मां के संक्रमित होने के बाद देखभाल में उनकी पत्नी मंजू शर्मा भी संक्रमित हो गई। परिवार के सदस्यों ने मंजू को घर में क्वारेंटिन कर उपचार शुरू कर दिया। वह भी अब स्वस्थ हो चुकी हैं।
परिवार ने बरती सावधानी

शर्मा ने बताया कि पहले मां और फिर पत्नी के संक्रमित होने पर बाकी सदस्य सचेत हो गए। मां अस्पताल में भर्ती हो गई। पत्नी को एक कमरे में क्वारंटीन कर दिया। दोनों संक्रमित सदस्यों का मास्क ना हटाना और बाकि सदस्यों का डबल लगाने के साथ हाथों को सेनिटाइज करना व साबुन से धोना दिनचर्या बन गया। नतीजतन शर्मा उनके छोटे भाई बाबूलाल शर्मा (शिक्षक), पुत्र हरीश व पुत्री पूजा सुरक्षित और स्वस्थ बने रहे।
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