सख्ती से करें पीओपी की मूर्तियों पर प्रतिबंध का अमल

 
-कुंड में हो मूर्तियों का विसर्जन, व्यापक प्रचार करें

<p>सख्ती से करें पीओपी की मूर्तियों पर प्रतिबंध का अमल</p>
 
अहमदाबाद. गणेश चतुर्थी का त्यौहार आरंभ होने को है। ऐसे में गणेश मूर्तियों के विसर्जन से नदी का पानी प्रदूषित होने से रोकने को लेकर दायर जनहित याचिका दायर की गई।
इस पर मुख्य न्यायाधीश आर. सुभाष रेड्डी व न्यायाधीश वी. एम. पंचोली की खंडपीठ ने कहा कि प्लास्टर ऑफ पेरिस (पीओपी) की मूर्तियों पर प्रतिबंध है। इस मामले में न्यायालय के पूर्व में दिए गए आदेश का पालन किया जाए। मूूतियों का विसर्जन कुंड में किया जाए और इस मामले में व्यापक प्रचार किया जाए।
सूरत सिटीजन काउंसिल ट्र्स्ट की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि सूरत ही नहीं, बल्कि अहमदाबाद, वडोदरा सहित अन्य शहरों में मूर्तियों के विसर्जन से नदी प्रदूषित नहीं होने की पूरी जिम्मेवारी स्थानीय प्रशासन की ओर से ली जाएगी। इसके लिए कार्यवाही की जा रही है। अहमदाबाद, सूरत सहित अन्य शहरों में उचित मात्रा में पानी के कृत्रिम कुंड बनाए जाएंगे। इससे नदी में मूर्तियों का विसर्जन नहीं कर इसे कुंड में विर्सजित किया जा सकेगा। इस तरह नदियों को प्रदूषित किए जाने से रोका जा सकेगा।
ट्रस्ट की ओर से दायर याचिका में कहा गया कि सूरत की तापी नदी में गणोत्सव में बड़े पैमाने पर मूर्तियों का विसर्जन किया जाता है। इतना ही नहीं, दशामां और दुर्गा पूजा के बाद भी प्रतिमाओं का विसर्जन किया जाता है। इससे नदी प्रदूषित होती है वहीं नदी का पानी केमिकल युक्त बनने से मरीन लाइफ प्रभावित होता है। इतना ही नहीं, प्रदूषण युक्त पानी से मानव जीवन पर भी असर पड़ता है। इस मामले में वर्ष 2014 से कानूनी लड़ाई जारी है। इससे पहले भी उच्च न्यायालय में याचिकाएं दायर की गई थीं जिसमें कई आदेश जारी किए गए थे, लेकिन इस मामले में सख्ती से अमलीकरण नहीं हो रहा था। इस बार गणपति महोत्सव 13 सितम्बर से आरंभ हो रहा है।



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