बर्खास्त आईपीएस संजीव भट्ट ने वापस ली याचिका

-फर्जी एनडीपीएस प्रकरण

<p>बर्खास्त आईपीएस संजीव भट्ट ने वापस ली याचिका</p>
 
अहमदाबाद. 22 वर्ष पुराने एनडीपीएस के एक फर्जी मामले में गिरफ्तार बर्खास्त आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट ने गुजरात उच्च न्यायालय के समक्ष अपने खिलाफ दर्ज शिकायत खारिज करने की याचिका वापस ले ली।
उच्च न्यायालय ने मंगलवार को भट्ट के साथ-साथ एलसीबी के तत्कालीन पुलिस निरीक्षक आई. बी. व्यास को दस दिनों के पुलिस रिमाण्ड पर भेजने का आदेश दिया था।
भट्ट ने इस मामले में दर्ज शिकायत रद्द करने की गुहार लगाई थी, लेकिन यह याचिका वापस ले ली गई।
सीआईडी क्राइम ने इस मामले में गत 5 सितम्बर को भट्ट को गिरफ्तार किया था। पालनपुर की मजिस्ट्रेट अदालत ने दोनों आरोपियों का रिमाण्ड नकारते हुए दोनों को जेल भेजने का निर्देश दिया था। उधर राज्य सरकार ने निचली अदालत के फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय में पुनरीक्षण याचिका दायर की थी जिसे मान्य रखते हुए न्यायालय ने दोनों को दस दिनों के रिमाण्ड पर भेज दिया।बनासकांठा के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक के रूप में ३० अप्रेल १९९६ को पालनपुर थाने में दर्ज एनडीपीएस के फर्जी मामले में भट्ट की गिरफ्तारी हुई है। गुजरात उच्च न्यायालय के निर्देश के आधार पर यह गिरफ्तारी की गई है। राजस्थान के वकील सुमेर सिंह राजपुरोहित की ओर से वर्ष १९९८ में दायर याचिका पर गुजरात उच्च न्यायालय ने गत अप्रेल महीने में फैसला सुनाते हुए सीआईडी क्राइम से विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करते हुए तीन महीने में जांच पूरी करने को कहा था।
इस प्रकरण की जांच के दौरान सामने आया कि तत्कालीन बनासकांठा एसपी संजीव भट्ट ने राजस्थान के पाली जिले के वद्र्धमान मार्केट स्थित एक दुकान को खाली कराने के लिए तत्कालीन दुकान के कब्जाधारक पाली में बापूनगर निवासी वकील सुमेर सिंह राजपुरोहित पर एनडीपीएस का फर्जी केस पालनपुर थाने में ३० अप्रेल १९९६ को दर्ज किया था। इस मामले में सुमेर सिंह की कुछ दिनों बाद ही गिरफ्तारी भी की थी।
1988 बैच के आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट को वर्ष २०१५ में केन्द्र सरकार की ओर से बर्खास्त किया जा चुका है।

 
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