भूतापीय और सौर ऊर्जा के समन्वय से बिजली पैदा करने की तैयारी

PDPU, Ahmedabad, Geothermal energy, Solar energy, Dholera, Gujarat, देश का ऐसा पहला प्रोजेक्ट होगा धोलेरा में, पीडीपीयू के सीईजीई ने तैयार किया सोलर-जियोथर्मल हाइब्रिड मॉडल

<p>भूतापीय और सौर ऊर्जा के समन्वय से बिजली पैदा करने की तैयारी</p>
नगेन्द्र सिंह
अहमदाबाद. भूतापीय ऊर्जा से बिजली पैदा करने के बाद अब पंडित दीन दयाल पेट्रोलियम यूनिवर्सिटी का भूतापीय ऊर्जा उत्कृष्टता केन्द्र (सीईजीई) जमीन से निकलने वाले गरम पानी के साथ सौर ऊर्जा का समन्वय करके बिजली पैदा करने की तैयारी कर रहा है। इसके लिए सोलर-जियो थर्मल हाइब्रिड मॉडल भी डिजाइन कर लिया गया है।
इसके जरिए भी बिजली अहमदाबाद जिले के धोलेरा में स्थित स्वामीनारायण मंदिर के पास स्थित भूतापीय ऊर्जा कुए पर बने स्टेशन पर पैदा की जाएगी। जहां पहले से ही जमीन से निकलने वाले गर्म पानी से बिजली पैदा की जा रही है।
देश में गुजरात के अहमदाबाद जिले का धोलेरा शहर ही एक ऐसा स्थल होगा जहां सौर ऊर्जा और भूतापीय ऊर्जा का समन्वय करके बिजली पैदा की जाएगी।
पीडीपीयू के सीईजीई के प्रमुख प्रो.अनिरबिद सिरकार के मार्गदर्शन में नम्रता बिष्ट, डॉ कीर्ति यादव, अभिजीत निरन्तरे ने यह मॉडल डिजाइन किया है। वैसे अमरीका, केन्या, फिलिपिंस में इस प्रकार से बिजली पैदा होती है, लेकिन भारत की बात करें तो धोलेरा में यह मॉडल देश का ऐसा पहला मॉडल होगा। ऐसा इसलिए है क्योंकि देश में अभी धोलेरा में ही भूतापीय के जरिए बिजली पैदा करने में सफलता मिली है। जिससे अब इसे सौर ऊर्जा के साथ समन्वित कर और भी ज्यादा प्रभावी और बेहतर परिणाम दायक बनाने की कोशिश की जडा रही है। यह प्रक्रिया ज्यादा इकोफ्रेंडली भी है। सौर ऊर्जा के पैनल दिन में सात से आठ घंटे तक सौर ऊर्जा को समाहित करेंगे। जबकि जमीन से गर्म पानी तो दिन-रात 24 घंटे ही निकलता है।
दो गुना हो जाएगी बिजली की पैदावार

पीडीपीयू के सीईजीई के प्रमुख प्रो.अनिरबिद सिरकार ने बताया कि इस सौर ऊर्जा-भूतापीय ऊर्जा के समन्वय वाले नए मॉडल की मदद से प्रति घंटे 35 से 40 किलोवॉट तक बिजली पैदा की जा सकती है। अभी जियोथर्मल एनर्जी की मदद से प्रति घंटे 20 किलोवॉट की बिजली धोलेरा स्वामीनारायण मंदिर के पास पैदा की जा रही है।
यूं काम करेगा नया मॉडल

सीईजीई टीम ने इसके लिए पैराबोलिक थ्रू कलक्टर बायोमॉडल(पीटीसी) तैयार किया है। जिसके तहत मौजूदा प्लांट को दो हिस्सों (लूप्स) में विभाजित कर दिया जाएगा। एक हिस्से में मौजूदा भूतापीय ऊर्जा वाले गर्म पानी (जमीन से मिलने वाले गर्म पानी) को हीट पंप से और गर्म किया जाता है वह कार्य जारी रहेगा और दूसरे हिस्से में पैराबोलिक थ्रू कलक्टर (पीटीसी) को ऑर्गेनिक रेनकिन सायकल (ओआरसी) से जोड़ दिया जाएगा। जहां भूतापीय कुए से निकलने वाले 45-50 डिग्री सेल्सियस तक के गर्म पानी को पीटीसी से गुजारा जाएगा जो उसके तापमान को 80 डिग्री तक गर्म करके ओआरसी में भेजेगा, जहां से बिजली पैदा होगी।
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