CM रूपाणी ने की अहम घोषणा, गुजरात पुलिस के आरआर सेल होंगे बंद, एसपी को अधिक सत्ता

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<p>CM रूपाणी ने की अहम घोषणा, गुजरात पुलिस के आरआर सेल होंगे बंद, एसपी को अधिक सत्ता</p>
अहमदाबाद. गुजरात पुलिस के रेंज आईजी-डीआईजी की ओर से कार्यरत होने वाले रेपिड रेस्पोंस (आरआर) सेल को बंद करने का सरकार ने निर्णय किया है।
शुक्रवार को मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने इसको लेकर अहम घोषणा की। उन्होंने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि जब रक्षक ही भक्षक बनेंगे तो कैसे चलेगा। इसे बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इसको लेकर सरकार सख्त है और पुलिस कर्मचारियों को भी सख्त संदेश देना चाहती है कि पुलिस कर्मचारियों को भी कानून के दायरे में रहना जरूरी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि गुजरात पुलिस के सभी आरआर सेल को अब बंद किया जा रहा है। यह सेल वर्ष 1995 से राज्य भर में कार्यरत थे। इन सेल की कमी को पूरा करने के लिए जिले के पुलिस अधीक्षकों को ज्यादा अधिकार दिए जाएंगे ताकि वे अपने जिले में योग्य निगरानी, कानून व्यवस्था को बरकरार रख सकें।
आरआर सेल में कार्यरत कर्मचारियों को उनके संबंधित जिलों में वापस भेजा जाएगा। आरआर सेल के कर्मचारी उस रेंज में आने वाले दो से तीन जिलों में कहीं भी किसी भी मामले में कार्रवाई करते थे।
दरअसल भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने अहमदाबाद रेंज आईजी के रेपिड रिस्पांस सेल (आरआर सेल) के पुलिस कर्मचारी एएसआई प्रकाश सिंह राओल को 50 लाख रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा है। रिश्वत की यह राशि कुछ समय पहले खंभात की जीआईडीसी में आरआर सेल की ओर से दी गई दबिश के मामले में शिकायतकर्ता के चाचा पर कार्यवाही नहीं करने के मामले में ली गई थी। इस मामले को मुख्यमंत्री ने काफी गंभीरता से लिया है।
गुजरात में हैं आठ रेंज
गुजरात पुलिस में आठ रेंज कार्यरत हैं, जिसमें अहमदाबाद रेंज, बॉर्डर रेंज भुज, वडोदरा रेंज, सूरत रेंज, गांधीनगर रेंज में आईजी स्तर के अधिकारियों की तैनाती है। इसके अलावा डीआईजी स्तर के अधिकारी की निगरानी में पंचमहाल-गोधरा रेंज, भावनगर रेंज, जूनागढ़ रेंज शामिल हैं।
भ्रष्टाचार के चलते बंद हो चुका है जीएलडीसी
गुजरात सरकार इससे पहले भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी का केन्द्र बन चुके गुजरात जमीन विकास निगम लिमिटेड (जीएलडीसी) को भी बंद करने का ऐलान कर चुकी है। एसीबी की ओर से ही जीएलडीसी के गांधीनगर स्थित कार्यालय में दबिश देकर ५५ लाख की नकदी बरामद की थी और फिर उसके बाद से लेकर अब तक १०० से ज्यादा मामले जीएलडीसी के कर्मचारियों, अधिकारियों पर दर्ज किए जा चुके हैं।
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