कई अहम मुद्दों पर पीआईएल करने वाले प्रफुल्ल देसाई नहीं रहे

-आरटीआई कार्यकर्ता देसाई भ्रष्टाचार, सिविक मुद्दे को लेकर वर्षो से कार्यरत थे

<p>कई अहम मुद्दों पर पीआईएल करने वाले प्रफुल्ल देसाई नहीं रहे</p>
 
अहमदाबाद. सूचना के अधिकार (आरटीआई), नोटा सहित चुनाव से जुड़े मुद्दों को लेकर कई अहम जनहित याचिका (पीआईएल) दायर करने वाले वयोवृद्ध सामाजिक कार्यकर्ता प्रफुल्ल देसाई का बुधवार को निधन हो गया। वे करीब 78 वर्ष के थे।
वडोदरा के रहने वाले देसाई लगभग हर बुधवार की तरह इस बार भी पीआईएल की सुनवाई को लेकर गुजरात उच्च न्यायालय पहुंचे थे। यहां उच्च न्यायालय के कोर्ट नं. एक में सुनवाई शुरु होने से पहले वे अचानक बेहोश हो गए। इससे अचानक अफरा-तफरी मच गई। मुख्य न्यायाधीश के निर्देश पर उच्च न्यायालय के अधिकारियों की मदद से उन्हें नजदीकी सोला सिविल अस्पताल ले जाया गया जहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
मुख्य न्यायाधीश आर. सुभाष रेड्डी ने बीते कुछ महीने पहले ही एक कार्यक्रम में देसाई की भूरि-भूरि प्रशंसा की थी। उन्होंने कहा था कि इस उम्र में भी कई अहम मुद्दों को लेकर खुद याचिका दायर करने वाले इस वृद्ध व्यक्ति से कई युवा प्रेरणा ले सकते हैं। कई वकील भी देसाई का बेहद सम्मान करते थे। उन्होंने जागते रहो पार्टी का भी गठन किया था।
उन्होंने गुजरात में सूचना के अधिकार (आरटीआई) के लंबित मामलों, आरटीआई आयुक्तों की संख्या, वीर नर्मद दक्षिण गुजरात विश्वविद्यालय में कुलपति की योग्यता पर सवाल उठाने, चुनाव सुधार को लेकर कई जनहित याचिकाएं दायर की थीं।
सके अलावा राज्य के स्कूलों में फीस नियमन समिति को भी चुनौती दी थी। उन्होंने पाटीदार अनामत आंदोलन समिति (पास) के मुख्य संयोजक व युवा पाटीदार नेता हार्दिक पटेल को लेकर वायरल हुए वीडियो के संबंध में जांच आयोग गठित किए जाने की मांग करते हुए जनहित याचिका दायर की थी।
उच्च न्यायायल ने उनकी कई जनहित याचिकाओं पर अहम निर्देश भी जारी किए थे।
मूल रूप से आरटीआई कार्यकर्ता देसाई भ्रष्टाचार, सिविक मुद्दे को लेकर वर्षो से कार्यरत थे। वे जागते रहो नामक एनजीओ भी चलाते थे और इसी नाम से उन्होंने राजनीतिक दल का भी गठन किया था।
 
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